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ऊष्मा क्या है, ऊष्मा की परिभाषा, ऊष्मा का S.I मात्रक (Usma kya hai)

ऊष्मा क्या है, ऊष्मा की परिभाषा(Usma kya hai)

“दोस्तों ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा होती है, जो किसी वस्तु में ताप के कारण उत्पन्न होती है. दोस्तो आसान भाषा में कहें तो ऊष्मा ऊर्जा का ही एक रूप है जो किसी पदार्थ के गर्म होने का एहसास दिलाती है”

ऊष्मा के मात्रक (Ushma ka si matrak):

ऊष्मा का SI मात्रक जूल (joule) है जो ऊर्जा का SI मात्रक है।

Ushma ka si matrak-इसके अतिरिक्त, ऊष्मा का cgs मात्रक कैलोरी (calorie) है। एक ग्राम शुद्ध पानी का ताप 1°C (वास्तव में 14.5° से 15.5°C) बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा के परिमाण (quantity of heat) को एक कैलोरी कहते हैं ।

  • ऊष्मा का यह मात्रक बहुत छोटा है इसलिए किलोकैलोरी (10^3 कैलोरी) का व्यवहार किया जाता है।
  • 1 किलोकैलोरी = 1 kcal = 4186 जूल (लगभग 4200 J)।

विशिष्ट ऊष्मा-धारिता (Specific Heat Capacity):

किसी वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा-धारिता उसके एक किलोग्राम द्रव्यमान का ताप 1K से बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा का परिमाण है।

  • विशिष्ट ऊष्मा-धारिता का SI मात्रक जूल किलोग्राम^-1 केल्विन^-1 (Jkg^-1K^-1) होता है।
  • [पानी की विशिष्ट ऊष्मा धारिता 4200 J kg^-1 K^-1 (लगभग) होती है ]

यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m और उसके पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा-धारिता c हो तथा उसका ताप Δθ डिग्री से बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा ΔQ हो, तो

  • C = ΔQ / mcΔθ
  • ΔQ = mcΔθ
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विभिन्न पदार्थों की विशिष्ट ऊष्मा-धारिता के मान नीचे दिए गए हैं।

ऊष्मा धारिता (Heat Capacity ):

किसी वस्तु के ताप को 1K से बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा के परिमाण को उस वस्तु की ऊष्मा धारिता (heat capacity) कहते हैं।

यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो और उसकी विशिष्ट ऊष्मा धारिता c हो, तो वस्तु का ताप एकांक (एक) डिग्री से बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा, अर्थात वस्तु की ऊष्मा-धारिता (heat capacity) = m x c x 1 = mc ,

ऊष्मा – धारिता का SI मात्रक जूल केल्विन^-1 (J K^-1 ) होता है।

[ द्रष्टव्य: किसी वस्तु के किसी भी द्रव्यमान के नमूने (specimen) का ताप 1 K बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा(Usma kya hai) के परिमाण को उस वस्तु की ऊष्मा धारिता कहते हैं, जबकि उसी वस्तु के एकांक द्रव्यमान (1 kg) के नमूने का ताप 1 K बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा के परिमाण को उस वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा – धारिता कहते हैं । ‘विशिष्ट’ पद से प्रति एकांक द्रव्यमान (per unit mass) का बोध होता है ।

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कैलोरीमीटर (Calorimeter):

ऊष्मा का परिमाण (quantity of heat) मापने के लिए जिस बरतन का व्यवहार किया जाता है, उसे कैलोरीमीटर कहा जाता है। साधारणतः यह ताँबे का बना बेलनाकार बरतन होता है।

सुचालक पदार्थ का बना होने के कारण यह शीघ्र ही अपने अंदर रखी हुई वस्तु के ताप पर आ जाता है। कैलोरीमीटर और वायुमंडल के बीच ऊष्मा के आदान-प्रदान (exchange) को कम-से-कम करने के लिए यह कुचालक पदार्थ से घिरा रहता है । यह प्रायः, लकड़ी के बक्से में रखा रहता है जिसमें काग, रूई, या ऊन भरा रहता है। विकिरण (radiation) द्वारा ऊष्मा-हानि को कम करने के लिए इसकी बाहरी सतह को चमकीला बना दिया जाता है।

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कैलोरीमीटर का मुँह लकड़ी के एक ढक्कन से ढँका रहता है, जिसमें दो छेद होते हैं। एक छेद से इसमें थर्मामीटर लटकाया जाता है तथा दूसरे छेद से मुड़े हुए ताँबे के मोटे तार का एक विलोडक (stirrer) रखा रहता है। विलोडक द्वारा कैलोरीमीटर में रखे द्रव को चलाकर द्रव का ताप सभी जगह एकसमान किया जाता है।

ऊष्मा मापन का सिद्धांत (Principle of Heat Measurement):

ऊष्मा का प्रवाह उच्च ताप से निम्न ताप की ओर होता है और साथ ही जब कोई वस्तु ऊष्मा प्राप्त करती है तो उसका ताप बढ़ता है और जब कोई वस्तु ऊष्मा खोती है तब उसका ताप घटता है। इसलिए जब ऊँचे तापवाली वस्तु नीचे तापवाली वस्तु में मिलाई जाती है या उसके संपर्क (contact) में लाई जाती है तो ऊँचे तापवाली वस्तु से नीचे तापवाली वस्तु की ओर ऊष्मा का प्रवाह (flow of heat) तब तक होता है जब तक कि दोनों वस्तुएँ एक ही ताप पर नहीं पहुँच जातीं। इस प्रक्रिया (process) में पहली वस्तु का ताप घटता है और दूसरी वस्तु का ताप बढ़ता है। यदि ऊष्मा(Usma kya hai) किसी अन्य विधि से न तो वस्तुओं से बाहर जाती हो और न बाहर से वस्तुओं में आती हो, तो

( ऊँचे तापवाली वस्तु द्वारा त्यक्त अर्थात खोई ऊष्मा ) = ( निम्न तापवाली वस्तु द्वारा प्राप्त अर्थात ली गई ऊष्मा )

ऊष्मा-मापन का यही सिद्धांत है।

न्यूटन का शीतलन नियम (Newton’s Law of Cooling):

जब कोई गर्म वस्तु ऐसे परिवेश (surrounding) में रखी जाती है कि परिवेश का ताप वस्तु के ताप से कम हो तो वस्तु द्वारा ऊष्मा की हानि वस्तु एवं परिवेश के तापों (temperatures) और सतह की प्रकृति पर किस प्रकार निर्भर करती है, इसका अध्ययन सर्वप्रथम न्यूटन ने किया और एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे न्यूटन का शीतलन नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार,

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किसी गर्म वस्तु द्वारा ऊष्मा-हानि की दर वस्तु तथा उसको घेरनेवाले माध्यम के तापों के अंतर के समानुपाती होती है, यदि तापों का अंतर (temperature difference) बहुत अधिक न हो। ऊष्मा-हानि की दर वस्तु की खुली सतह के क्षेत्रफल ( area exposed) और सतह की प्रकृति पर भी निर्भर करती है।

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FAQ

Q. ऊष्मा क्या है?

दोस्तों ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा होती है, जो किसी वस्तु में ताप के कारण उत्पन्न होती है.

Q. ऊष्मा SI क्या है?

ऊष्मा का SI मात्रक जूल (joule) है जो ऊर्जा का SI मात्रक है।

Q. विशिष्ट ऊष्मा-धारिता क्या है?

किसी वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा-धारिता उसके एक किलोग्राम द्रव्यमान का ताप 1K से बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा का परिमाण है।

Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”ऊष्मा क्या है, ऊष्मा की परिभाषा, ऊष्मा का S.I मात्रक (Usma kya hai)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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