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पृष्ठ तनाव क्या है, परिभाषा, सिद्धांत, अनुप्रयोग, मात्रक(Surface tension in hindi)

Prist tanav-हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस article मे पृष्ठ तनाव क्या है, परिभाषा, सिद्धांत, अनुप्रयोग, मात्रक(Surface tension in hindi)” के बारे में जानेंगे. अगर आप विज्ञान के छात्र हैं तो आपके मन में यह सवाल कभी ना कभी जरूर आया होगा. दोस्तों इस आर्टिकल में हम पृष्ठ तनाव परिभाषा, सूत्र और उदाहरण के साथ सभी चीजों को समझेंगे. आर्टिकल के अंत में हमने आपके लिए FAQ सेक्शन रखा है. जिसमें महत्वपूर्ण सवालों के संक्षेप में जवाब दिए जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं.

Table of Contents

पृष्ठ- तनाव (Surface Tension in hindi )

प्रकृति में द्रव की छोटी-छोटी बूँदें हमेशा गोलीय आकार (spherical shape ) ग्रहण करती हैं। साबुन के बुलबुले भी पूर्णतः गोलाकार होते हैं। दिए हुए आयतन के लिए गोला ही एक ऐसी आकृति है जिसकी सतह का क्षेत्रफल (surface area) सबसे कम होता है। अतः, द्रव के मुक्त पृष्ठ (free surface) को हमेशा सिकुड़कर अपने क्षेत्रफल को न्यूनतम बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है, अर्थात वह हमेशा तनी हुई प्रत्यास्थ झिल्ली (stretched elastic membrane) के समान तनाव की स्थिति (state of tension) में रहता है । द्रवों के इसी गुण को, जिसके कारण वह सिकुड़कर अपने मुक्त पृष्ठ का क्षेत्रफल न्यूनतम बनाए रखने की प्रवृत्ति रखता है, पृष्ठ- तनाव (surface tension in hindi) कहा जाता है।

[द्रष्टव्य : द्रव के मुक्त पृष्ठ की तुलना प्रायः तनी हुई प्रत्यास्थ झिल्ली से की जाती है, फिर भी दोनों में एक मौलिक अंतर है। द्रव के मुक्त पृष्ठ में तनाव-बल नियत रहता है, पृष्ठ के क्षेत्रफल पर के निर्भर नहीं करता जबकि प्रत्यास्थ झिल्ली में तनाव-बल हुक के नियम से प्रसार (extension) के समानुपाती होता है । ]

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पृष्ठ- तनाव का प्रायोगिक प्रदर्शन (Experimental Demonstration of Surface Tension in hindi):

द्रव के मुक्त पृष्ठ में अपना क्षेत्रफल न्यूनतम रखने की प्रवृत्ति का होना, अर्थात हमेशा तनाव की स्थिति में रहना नीचे दिए गए प्रयोगों से प्रदर्शित किया जाता है.

(a) हैंडिल लगे एक तार के रिंग को साबुन के घोल ( soap solution) में डुबाकर बाहर निकालने पर रिंग में घोल की एक पतली फिल्म बन जाती है। इसी घोल से भींगे हुए पतले धागे के एक बंद फंदे (closed loop) को फिल्म पर सावधानी से रख देने पर फंदा किसी भी आकार को ग्रहण कर लेता है। अब, यदि फंदे के भीतर की फिल्म में गर्म सूई की नोंक से छेद कर दिया जाए, तो फंदा तुरंत वृत्तीय आकार (circular shape ) ग्रहण कर लेता है। फेदा कोई अन्य आकार ग्रहण कर ही नहीं सकता चूँकि दी गई परिमिति (perimeter) के लिए वृत्त का ही क्षेत्रफल महत्तम (maximum) होता है। अतः, फिल्म को सिकुड़ने का मौका जैसे ही मिला उसने अपना क्षेत्रफल न्यूनतम बना लिया मानो वह तनाव की अवस्था में हो।

(b) सूई का पानी पर तैरना- यदि एक साफ और बारीक सूई को स्याही सोख्ता (blotting paper) पर क्षैतिजतः रखकर सावधानी से पानी के पृष्ठ पर तैरने दें ताकि पानी तनिक भी हिलने न पाए तो सोख्ता पानी में भींगकर डूब जाता है, परंतु सूई पानी के पृष्ठ पर तैरती रहती है। यह घटना पृष्ठ तनाव के आधार पर स्पष्ट होती है। सूई अपने भार W के कारण पानी के तल को दबाती है जिससे पानी का पृष्ठ खिंच जाता है और सिकुड़ने की प्रवृत्ति के कारण पृष्ठ तनाव का परिणामी बल F, सूई के भार W को संतुलित कर लेता है।

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यदि पानी में साबुन का चूरा अथवा तेल डाल दें तो पानी के पृष्ठ तनाव का मान घट जाता है और सूई पानी में डूब जाती है।

[गड्ढों में भरे शांत जल-पृष्ठ पर पृष्ठ-तनाव के कारण मच्छर या कीड़े तैरते रहते हैं। इनमें मिट्टी का तेल छिड़क देने से पानी का पृष्ठ तनाव घट जाता है और मच्छर आदि उसमें डूबकर मर जाते हैं।]

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पृष्ठ तनाव की परिभाषा (Definition of Surface Tension in hindi):

किसी द्रव का पृष्ठ तनाव उसके मुक्त पृष्ठ पर खींची गई किसी कल्पित रेखा की प्रति एकांक लंबाई पर पृष्ठ के स्पर्शीय (tangential) तथा रेखा के लंबवत क्रियाशील बल से परिभाषित होता है।

  • पृष्ठ तनाव का SI मात्रक Nm^-1 होता है तथा इसकी विमाएँ (dimensions) MT^-2 होती हैं।
  • पानी का पृष्ठ तनाव (20°C पर) 72.9×10^-3 Nm^-1 तथा पारा का पृष्ठ-तनाव 486 x 10^-3 Nm^-1 होता है।
  • cgs पद्धति में पृष्ठ तनाव का मात्रक dyne cm^-1 होता है।

पृष्ठ तनाव से संबंधित पदों की व्याख्या (Explanation of Terms Relating Surface Tension meaning in hindi):

संसंजन बल (Cohesive force) –

एकही पदार्थ के दो अणुओं (molecules) के बीच आकर्षण को संसंजन (cohesion) या संसंजन बल (cohesive force) कहा जाता है, जैसे पानी के दो अणुओं के बीच आकर्षण या काँच के दो अणुओं के बीच आकर्षण संसंजन बल का परिमाण ठोस में सबसे अधिक, द्रवों में उससे कम और गैसों में लगभग नगण्य होता है।

आसंजन बल (Adhesive force) –

भिन्न पदार्थों के दो अणुओं के बीच आकर्षण बल को आसंजन (adhesion) या आसंजन बल (adhesive force) कहा जाता है। उदाहरणार्थ, काँच एवं जल के अणुओं के बीच आकर्षण को आसंजन कहेंगे। ब्लैक बोर्ड पर चॉक से लिखना या कागज पर पेंसिल से लिखना आसंजन बल के कारण ही संभव होता है।

संसंजन एवं आसंजन बलों के आपेक्षिक मान (relative values) से निम्नलिखित घटनाओं की व्याख्या की जा सकती है।

(a) संसंजन के कारण ही किसी द्रव की दो बूँदें संपर्क में आते ही मिलकर एक हो जाती हैं।

(b) पानी से भींगी काँच की दो चिपकी प्लेटों को अलग करने में जल के अणुओं के बीच संसंजन बल के विरुद्ध प्लेटों को बहुत बल लगाकर खींचना पड़ता है।

(c) किसी द्रव का किसी ठोस की सतह को भिगोना या न भिगोना संसंजन तथा आसंजन बलों के आपेक्षिक मान पर निर्भर करता है। काँच की प्लेट पानी से भींग जाती है। कारण, पानी और काँच के अणुओं के बीच आसंजन, पानी के अणुओं के बीच संसंजन से अधिक होता है, अंतः जल के अणु काँच के अणुओं से चिपक जाते हैं और काँच की प्लेट भींग जाती है। इसके विपरीत पारा, काँच को नहीं भिगोता। कारण, पारा और काँच के बीच आसंजन, पारे के अणुओं के बीच संसंजन से काफी कम होता है; अतः पारे के अणु आपस में एक-दूसरे को छोड़कर काँच के अणुओं से नहीं चिपकते।

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आणविक परास (Molecular range) –

किसी अणु (molecule) से वह अधिकतम दूरी जहाँ तक उसका आकर्षण अवगम्य (appreciable) रहता है, आणविक परास R कहा जाता है इसका मान लगभग 10^-9 m के क्रम (order) का होता है। दो अणुओं के बीच इससे अधिक दूरी रहने पर उनके बीच आकर्षण नगण्य होता है।

प्रभाव-गोला (Sphere of influence) –

किसी अणु को केंद्र मानकर उसके चारों ओर आणविक परास के बराबर की त्रिज्या R का एक खींचा गया कल्पित गोला उस अणु का प्रभाव – गोला (sphere of influence) या आणविक सक्रियता का गोला (sphere of molecular activity) कहा जाता है। स्पष्टतः, जो अणु इस गोले के अंदर हैं वे ही केंद्र पर स्थित अणु को आकर्षित कर सकते हैं, या केंद्र का अणु उनको आकर्षित कर सकता है। किसी अणु पर संसंजन बल के प्रभाव को जानने के लिए केवल उन्हीं अणुओं को विचाराधीन रखना पड़ता है जो उसके प्रभाव- गोले के अंदर रहते हैं।

पृष्ठ फिल्म (Surface film) –

किसी द्रव के मुक्त पृष्ठ ( free surface ) तथा इसके समांतर आणविक परास R की दूरी पर खींचे गए एक कल्पित समतल के बीच निहित द्रव की पतली फिल्म को पृष्ठ- फिल्म कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, किसी द्रव के मुक्त पृष्ठ से आणविक परास (R = 10^-9 m) की मोटाई की पतली झिल्ली को पृष्ठ-फिल्म कहा जाता है।

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पृष्ठ तनाव का आणविक सिद्धांत (Molecular Theory of Surface Tension hindi):

द्रव-पृष्ठ के सिकुड़ने की प्रवृत्ति, अर्थात पृष्ठ तनाव की सैद्धांतिक व्याख्या सर्वप्रथम लाप्लास (Laplace) ने पदार्थ की आणविक संरचना (molecular structure) के आधार पर की थी। द्रव का मुक्त पृष्ठ (free surface) AB है जिसके समांतर द्रव के भीतर आणविक परास (molecular range) की दूरी पर कल्पित तल CD है। इनके बीच की फिल्म को पृष्ठ- फिल्म (surface film) कहा जाता है।

पृष्ठ-फिल्म में स्थित अणुओं पर एक परिणामी संसंजन बल नीचे की ओर लगता है।द्रव-पृष्ठ के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए द्रव के भीतर से अणुओं को मुक्त तल तक लाना होगा इस क्रम में संसंजन बल के विरुद्ध यांत्रिक कार्य करना होगा कार्य का यह परिमाण अणुओं में स्थितिज ऊर्जा ( potential energy) के रूप में संचित (stored) हो जाता है।

स्पष्टतः, पृष्ठ- फिल्म में स्थित अणुओं की स्थितिज ऊर्जा, द्रव के भीतर स्थित अणुओं की स्थितिज ऊर्जा की अपेक्षा अधिक होती है। अब प्रकृति के मौलिक नियम के अनुसार, प्रत्येक निकाय अपनी स्थायी साम्यावस्था (stable equilibrium) में आने के लिए अपनी स्थितिज ऊर्जा को न्यूनतम रखने का प्रयत्न करता है। अतः, द्रव का मुक्त तल न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा रखने के लिए अपने तल पर अणुओं की न्यूनतम संख्या रखने की प्रवृत्ति रखता है, अर्थात सिकुड़कर न्यूनतम क्षेत्रफल धारण करने की चेष्टा करता है। द्रव-पृष्ठ के सिकुड़ने की इसी प्रवृत्ति को पृष्ठ-तनाव कहा जाता है। इस प्रकार आणविक संरचना के आधार पर पृष्ठ तनाव की व्याख्या हो जाती है।

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पृष्ठ- ऊर्जा (Surface Energy):

किसी वस्तु में विकृति (strain) उत्पन्न करने के लिए बाह्य बल द्वारा कुछ कार्य करना पड़ता है और वस्तु को इस कार्य के बराबर ऊर्जा प्राप्त होती है जिसे विकृति ऊर्जा (strain energy) या स्थितिज ऊर्जा (potential energy) कहा जाता है। इसी प्रकार किसी द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल को बढ़ाने में भी द्रव के अंदर से अणुओं को मुक्त सतह पर लाना पड़ता है। इस क्रम में अणुओं के बीच संसंजन बल (cohesive force) के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है जो बढ़ाए गए नए पृष्ठ की स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित (stored) हो जाता है।

पृष्ठ के क्षेत्रफल को बढ़ाने में कुछ शीतलन (cooling) भी होता है और समतापीय (isothermal) अवस्था में कुछ ऊष्मा पृष्ठ द्वारा अवशोषित होती है। इस प्रकार द्रव-पृष्ठ पर स्थित अणु अपनी स्थिति के कारण कुछ अतिरिक्त ऊर्जा रखते हैं। किसी द्रव की पृष्ठ- फिल्म (surface film) के प्रति एकांक क्षेत्रफल में निहित ऊर्जा को पृष्ठ- ऊर्जा (surface energy) कहा जाता है।

  • पृष्ठ- ऊर्जा का SI मात्रक Jm^-2 होता है तथा इसकी विमाएँ (dimensions) MT^-2 होती हैं।

पृष्ठ तनाव संबंधी कुछ घटनाएँ तथा उनकी व्याख्या (Some Phenomena Relating Surface Tension and their Explanation):

बूँदों तथा बुलबुलों के आकार का गोलीय होना —

पृष्ठ तनाव के कारण ही छोटी बूँदों और साबुन के बुलबुलों का आकार गोलीय होता है। पृष्ठ तनाव के गुण के कारण कोई भी द्रव न्यूनतम पृष्ठ-क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है तथा दिए गए आयतन के लिए गोले का पृष्ठक्षेत्रफल न्यूनतम होता है। वर्षा की बूँदे इसीलिए गोल होती हैं।

द्रव की बूँद पर निम्नलिखित दो बल कार्य करते हैं—

पृष्ठ तनाव बल – इस बल के कारण बूँद गोलाकार होने का प्रयास करती है।

गुरुत्वीय बल – इस बल के कारण द्रव की स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होना चाहती है। इसके लिए बूँद का गुरुत्व केंद्र नीचे-से-नीचे होने की प्रवृत्ति रखता है, अर्थात बूँद चपटी होने का प्रयास करती है।

काँच की प्लेट पर पारे की छोटी बूँद का भार नगण्य होता है, अतः उसकी आकृति केवल पृष्ठ-तनाव के बल से निर्धारित होती है। इसी कारण छोटी बूँदे गोल होती है। बूँद का आकार बढ़ने पर उसका भार बढ़ता है, परंतु पृष्ठ तनाव बल उस अनुपात में नहीं बढ़ता, जिससे बूँद अपना गोलीयपन (spherical ness) खोने लगती है और एक स्थिति में पृष्ठ तनाव बल गुरुत्वीय बल की तुलना में नगण्य हो जाता है, जिससे बड़ी बूँद का आकार केवल गुरुत्वीय बल से निर्धारित होता है, अतः बूँद फैलकर चपटी हो जाती है।

फुहारने से ठंडक की उत्पत्ति (cooling due to spraying)—

की व्याख्या भी पृष्ठ-तनाव के आधार पर की जाती है। द्रव को फुहारने से द्रव की असंख्य छोटी-छोटी बूँदें बनने के कारण द्रव के पृष्ठ का क्षेत्रफल बहुत बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया में द्रव के अणु संसंजन बल के विरुद्ध बूँद के पृष्ठ पर आ जाते हैं और इसके लिए आवश्यक ऊर्जा द्रव की आंतरिक ऊर्जा से प्राप्त होती है, फलतः द्रव की बूँदों का ताप गिर जाता है जिससे ठंडक की अनुभूति होती है।

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पानी की सतह पर कपूर के टुकड़ों का नाचना —

कपूर के टुकड़े की अनियमित आकृति के कारण पानी में इसका एक भाग दूसरे भाग की अपेक्षा अधिक घुल जाता है, फलतः एक ओर का पृष्ठ तनाव दूसरी ओर से (जहाँ कपूर कम घुलता है) कम हो जाता है। अतः, के टुकड़े अधिक पृष्ठ- तनाववाले क्षेत्र की ओर खिंच जाते हैं। यही प्रक्रिया, जहाँ कहीं ये टुकड़े जाते हैं वहाँ होती है। इसके परिणामस्वरूप वे पानी की सतह पर नाचते रहते हैं।

साबुन का घोल शुद्ध जल की अपेक्षा कपड़ों की अधिक सफाई करता है—

पानी में साबुन या सोडा मिलाने पर उसका पृष्ठ तनाव काफी कम हो जाता है। अतः, शुद्ध पानी की अपेक्षा साबुन का घोल अधिक फैलकर कपड़े के सूक्ष्म छिद्रों में भी चला जाता है और अपने साथ मैल को चिपकाकर बाहर निकाल देता है। यदि घोल को गर्म कर दिया जाए तो इसका पृष्ठ तनाव और भी कम हो जाता है और तब यह अपेक्षाकृत अधिक सफाई कर सकता है।

सीसे के छर्रे बनाना—

सीसे के गोल छर्रे बनाने के लिए पिघलते हुए सीसे को धीरे-धीरे (थोड़ी-थोड़ी मात्रा में) ऊँचाई से जल में गिराया जाता है। गिरते समय पृष्ठ तनाव के कारण पिघला सीसा न्यूनतम पृष्ठ-क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है, इसलिए वह गोलीय आकृति धारण कर लेता है तथा जल में पहुँचने पर ठोस बन जाता है। इस प्रकार सीसे के छोटे-छोटे गोल छर्रे बन जाते हैं।

काँच की नली के सिरे को गर्म करने पर गोल हो जाना—

काँच की नली को बर्नर की ज्वाला से गर्म करने पर वह पिघल कर द्रव बन जाता है। पृष्ठ तनाव के गुण के कारण द्रव न्यूनतम पृष्ठ क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है। चूँकि दिए गए आयतन के लिए गोले का पृष्ठ क्षेत्रफल न्यूनतम होता है, अतः सिरे पर पिघला काँच गोलीय आकृति धारण कर लेता है। यही कारण है कि काँच की नली के सिरे को गर्म करने पर वह गोल हो जाता है।

धोने वाली दवाइयों —

जैसे डिटॉल, सेवलॉन आदि का पृष्ठ तनाव कम होता है, अतः वह घाव में बनी छोटी-छोटी दरारों में पहुँच कर घाव की अंच्छी तरह से सफाई कर देता है। टूथ-पेस्ट के झागों का पृष्ठ तनाव कम होता है जिससे वह दाँतों के अधिक क्षेत्रफल पर फैलकर दाँतों की सफाई कर देता है।

गर्म सूप ठंडे सूप की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट लगता है—

ताप बढ़ने से पृष्ठ तनाव घटता है। इसलिए गर्म सूप का पृष्ठ तनाव ठंडे सूप की अपेक्षा कम होता है। द्रव के कम पृष्ठ तनाव का अर्थ है, अधिक पृष्ठ क्षेत्रफल घेरना। इसीलिए गर्म सूप जीभ के अधिक क्षेत्रफल पर फैल जाता है। अतः, गर्म सूप ठंडे सूप की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट लगता है।

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पृष्ठ तनाव को प्रभावित करनेवाले अन्य कारक (Other Factors Affecting the Surface Tension in hindi):

विलेय पदार्थ का प्रभाव (Effect of solute) –

यदि विलेय पदार्थ द्रव में कम घुलनशील (soluble) हो, तो द्रव का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है। जैसे जल में साबुन, डिटरजेंट अथवा फिनॉल डालने पर जल का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है। परंतु, यदि विलेय पदार्थ द्रव में बहुत घुलनशील है, तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है। यही कारण है कि जल में नमक डालने पर जल का पृष्ठ-तनाव बढ़ जाता है।

संदूषण का प्रभाव (Effect of contamination)–

प्रकार की चिकनाई (तेल या ग्रीज) होने पर जल का पृष्ठ जल के पृष्ठ पर धूल अथवा किसी तनाव कम हो जाता है।

FAQ

पृष्ठ तनाव क्या है?

दोस्तों किसी इकाई पृष्ठ के लम्बाई पर लगने वाले बल को द्रव का पृष्ठ तनाव कहते हैं।

पृष्ठ तनाव सूत्र क्या है?

\gamma=\frac{1}{2} \cdot \frac{F}{L}
\gamma =पृष्ठ तनाव
{F}=बल
{L}=लम्बाई

पृष्ठ तनाव SI मात्रक क्या है?

पृष्ठ तनाव का SI मात्रक Nm^-1 होता है.

पृष्ठ तनाव विमाएँ क्या है?

विमाएँ (dimensions) MT^-2 होती हैं।

cgs पद्धति में पृष्ठ तनाव का मात्रक क्या है?

cgs पद्धति में पृष्ठ तनाव का मात्रक dyne cm^-1 होता है।

Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”अन्योन्य क्रियाएँ क्या होती है, अन्योन्य क्रियाएँ का अर्थ, अन्योन्य क्रिया का उदाहरण”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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