You are currently viewing स्टीफेन का नियम क्या है (Stephen Ka Niyam)

स्टीफेन का नियम क्या है (Stephen Ka Niyam)

स्टीफेन का नियम (Stephen Ka Niyam)

रूसी वैज्ञानिक स्टीफेन(Stephen Ka Niyam) ने प्रायोगिक प्रेक्षणों के आधार पर विभिन्न तापों पर स्थित पिंडों द्वारा उत्सर्जित कुल विकिरण के लिए इस नियम का प्रतिपादन किया—

“किसी पिंड के एकांक पृष्ठ क्षेत्रफल (unit surface area) से प्रति सेकंड उत्सर्जित विकिरण ऊर्जा (radiant energy) का परिमाण उसके परम ताप के चतुर्थ घात (fourth power) के समानुपाती होता है।”

“अतः, इस नियम के अनुसार यदि किसी वस्तु का (परम) ताप T हो, तो उसके एकांक पृष्ठ – क्षेत्रफल से प्रति सेकंड उत्सर्जित होनेवाली कुल विकिरण ऊर्जा E ∝ T^4 , E = σT^4”

  • जहाँ, σ एक नियतांक है जिसे स्टीफेन नियतांक (Stefan constant) कहा जाता है। चूँकि E का SI मात्रक Wm^-2 है, अतः σ का SI मात्रक Wm^-2 K^-4 होगा। स्टीफेन नियतांक का मान 5.67 ×10^8 W m^-2 K^-4 होता है।

स्टीफेन–बोल्ट्जमान नियम (Stefan – Boltzmann Law):

स्टीफेन(Stephen Ka Niyam) के नियम का प्रतिपादन प्रायोगिक प्रेक्षणों के आधार पर किया गया था। परंतु, इस नियम का सैद्धांतिक प्रमाण सर्वप्रथम बोल्ट्जमान ने ऊष्मागतिकी (thermodynamics) के आधार पर दिया तथा यह सिद्ध किया कि स्टीफेन का नियम केवल आदर्श कृष्ण पिंड के लिए ही सही है। इसके अतिरिक्त स्टीफेन का नियम किसी वस्तु के शीतलन की दर ( rate of cooling ) नहीं बताता है, क्योंकि ठंडे होने की दर वस्तु के आस-पास के ताप पर भी निर्भर करती है।

“यदि किसी कृष्ण पिंड जिसका (परम) ताप T है, को एक ऐसे कृष्ण कोष्ठ (black enclosure) में रख दिया जाए कि जिसका ताप T0है तो पिंड अपने प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड σT^4(0) ऊर्जा उत्सर्जित करेगा तथा σT^4 ऊर्जा अवशोषित भी करेगा। अतः, पिंड के प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड उत्सर्जित विकिरण ऊर्जा का नेट (परिणामी) मान होगा | “

  • E = σ ( T^4 – T^4(0) ) , स्टीफेन-वोल्ट्जमान नियम का गणितीय रूप है।
See also  गति किसे कहते है, गति कितने प्रकार की होती है(Gati kitne prakar ke hote hain)

उत्सर्जन क्षमता (Emissive Power):

किसी गर्म वस्तु के पृष्ठ से उसके ताप के कारण सभी दिशाओं में विकिरण ऊर्जा (radiant energy) का उत्सर्जन होता रहता है। ऊर्जा उत्सर्जन की दर उस वस्तु के ताप, सतह की प्रकृति, सतह के क्षेत्रफल तथा विकिरण के तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करती है। दिए गए ताप पर किसी पृष्ठ की उत्सर्जन-क्षमता उसके प्रति एकांक क्षेत्रफल द्वारा प्रति सेकंड उत्सर्जित विकिरण ऊर्जा के कुल परिमाण के बराबर होती है। इसे संकेत e द्वारा निरूपित किया जाता है तथा इसका SI मात्रक Jm^-2 s−1 या Wm^-2 होता है।

Read More-तरल किसे कहते है, तरल का अर्थ, तरल की परिभाषा, उत्प्लावकता, आर्किमीडीज का सिद्धांत(Fluid in hindi)

अवशोषी क्षमता (Absorptive Power):

किसी वस्तु के पृष्ठ पर जब विकिरण ऊर्जा आपतित होती है तो प्रायः उसका कुछ अंश पृष्ठ से परावर्तित हो जाता है, कुछ अंश पृष्ठ द्वारा अवशोषित हो जाता है तथा शेष भाग वस्तु से संचरित होकर बाहर निकल जाता है।

अवशोषित ऊर्जा का परिमाण वस्तु के ताप, पृष्ठ की प्रकृति तथा आपतित विकिरण के तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करता है। किसी पृष्ठ द्वारा किसी समय में अवशोषित विकिरण ऊर्जा का परिमाण तथा उतने ही समय में उस पृष्ठ पर आपतित कुल विकिरण ऊर्जा के परिमाण के अनुपात को पृष्ठ की अवशोषी क्षमता (a) कहा जाता है। चूँकि a ऊर्जाओं का मात्र अनुपात है, अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है। एक पूर्ण कृष्ण पिंड, आपतित ऊर्जा को पूर्णतः अवशोषित कर लेता है, अतः परिभाषा के अनुसार पूर्ण कृष्ण पिंड (perfectly black body) की अवशोषी क्षमता का मान । होता है।

See also  डोरियों का कंपन, तनी हुई डोरी के अनुप्रस्थ कंपन के नियम (Speed of Transverse Waves in Stretched String or Wire)

आदर्श कृष्ण पिंड पर आपतित विकिरण का संपूर्ण भाग पूर्णतः अवशोषित हो जाता है चाहे उसका तरंगदैर्घ्य कुछ भी हो। अतः, आदर्श कृष्ण पिंड के लिए λ के सभी मान पर aλ = 1, या a = 1,

किर्कहॉफ का नियम (Kirchhoff’s Law in hindi):

किसी पृष्ठ की उत्सर्जन एवं अवशोषी क्षमताओं को संबद्ध करनेवाले नियम को किर्कहॉफ का नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार,

किसी दिए गए ताप पर दिए हुए तरंगदैर्घ्य के लिए सभी वस्तुओं की उत्सर्जन-क्षमता (eλ) तथा अवशोषी-क्षमता (aλ) का अनुपात समान होता है तथा यह अनुपात उसी ताप पर एक आदर्श कृष्ण पिंड की उत्सर्जन क्षमता के बराबर होता है। अर्थात, Eλ / aλ = Eλ

जहाँ, Eλ कृष्ण पिंड की उत्सर्जन क्षमता है।

किर्कहॉफ के नियम का सीधा अर्थ यह है कि अच्छे अवशोषक अच्छे उत्सर्जक भी होते हैं (good absorbers are good emitters) । eλ / aλ का अनुपात स्थिर ताप पर नियत रहता है, अतः अच्छे अवशोषक के लिए aλ का मान अधिक रहने के कारण eλ का मान भी अधिक होगा। स्पष्टतः, कोई वस्तु किसी तरंगदैर्घ्य के विकिरण का अच्छा अवशोषण करती हो, तो वह उसी तरंगदैर्घ्य के विकिरण का अच्छा उत्सर्जन भी करेगी।

उदाहरण के लिए यदि किसी धातु की पॉलिश की हुई गेंद को जिसपरं प्लैटिनम की कालिख का एक धब्बा लगा हो, उच्च ताप पर गर्म करके अँधेरे कमरे में ले जाएँ तो काला धब्बा गेंद के शेष भाग की अपेक्षा अधिक चमकीला दिखाई पड़ेगा। इसका कारण यह है कि कालिख का धब्बा पॉलिश की हुई सतह की अपेक्षा विकिरण ऊर्जा का अच्छा अवशोषक है, अतः किर्कहॉफ के नियमानुसार यह विकिरण (प्रकाश) का अच्छा उत्सर्जक भी है।

Read More-दाब किसे कहते हैं, मात्रक, परिभाषा, सूत्र(Daab kise kahate hain)

वीन का विस्थापन नियम (Wien’s Displacement Law):

प्रयोगों द्वारा यह पाया गया कि महत्तम विकिरण ऊर्जा के संगत का तरंगदैर्घ्य λmax ताप के बढ़ने के क्रम में घटता जाता है। 1896 में वीन (Wien) ने (परम) ताप T तथा तरंगदैर्घ्य λmax के बीच निम्नलिखित संबंध स्थापित किया।

  • λmax T = b (नियतांक)
See also  ऊष्मागतिकी क्या है, ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम, ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Thermodynamics first law in hindi

इसे बीन का विस्थापन नियम (Wien’s displacement law) कहा जाता है तथा नियतांक b को वीन का नियतांक (Wien’s constant) कहा जाता है, जिसका मान 2.898 x 10^-3 m K होता है।

वीन के विस्थापन नियम के अनुसार जैसे-जैसे वस्तु का ताप बढ़ता है, लघु तरंगदैर्थ्यो के विकिरण का उत्सर्जन अधिक परिमाण में होने लगता है। यही कारण है कि लोहे को गर्म करने पर वह पहले हलका लाल, फिर पीला और अंत में सफेद दिखाई देता है।

Read More-स्पर्श – कोण किसे कहते है, परिभाषा, शुद्ध जल और काँच के लिए स्पर्श(Angle of Contact in hindi)

FAQ

Q. स्टीफेन का नियम क्या है?

“किसी पिंड के एकांक पृष्ठ क्षेत्रफल (unit surface area) से प्रति सेकंड उत्सर्जित विकिरण ऊर्जा (radiant energy) का परिमाण उसके परम ताप के चतुर्थ घात (fourth power) के समानुपाती होता है।”

Q. स्टीफेन–बोल्ट्जमान नियम क्या है?

“यदि किसी कृष्ण पिंड जिसका (परम) ताप T है, को एक ऐसे कृष्ण कोष्ठ (black enclosure) में रख दिया जाए कि जिसका ताप T0है तो पिंड अपने प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड σT^4(0) ऊर्जा उत्सर्जित करेगा तथा σT^4 ऊर्जा अवशोषित भी करेगा। अतः, पिंड के प्रति एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकंड उत्सर्जित विकिरण ऊर्जा का नेट (परिणामी) मान होगा | “

Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”स्टीफेन का नियम क्या है (Stephen Ka Niyam)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

Leave a Reply