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सरल आवर्त गति किसे कहते हैं, परिभाषा, विशेषताएँ(Periodic motion in hindi)

Saral avart gati kise kahate hain– हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस article मे “सरल आवर्त गति किसे कहते हैं, परिभाषा, विशेषताएँ(Periodic motion in hindi)” के बारे में जानेंगे. अगर आप विज्ञान के छात्र हैं तो आपके मन में यह सवाल कभी ना कभी जरूर आया होगा. दोस्तों इस आर्टिकल में हम सरल आवर्त गति परिभाषा, सूत्र और उदाहरण के साथ सभी चीजों को समझेंगे. आर्टिकल के अंत में हमने आपके लिए FAQ सेक्शन रखा है. जिसमें महत्वपूर्ण सवालों के संक्षेप में जवाब दिए जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं.

आवर्त गति (Periodic Motionin hindi ):

किसी कण द्वारा एक निश्चित समयांतराल (time interval) में एक ही निश्चित पथ पर बार-बार दुहराई जानेवाली गति को आवर्त गति (periodic motion) कहते हैं |

आवर्त गति का एक चक्र (cycle) पूरा होने में लगे समयांतराल को आवर्तकाल (time period of periodic time) ‘T’ कहते हैं। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षीय गति (orbital motion) आवर्त गति है जिसका आवर्तकाल 1 वर्ष है। पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति भी आवर्त गति है जिसका आवर्तकाल 27.3 दिन है।

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जब आवर्त गति एक ही पथ पर एक निश्चित बिंदु के गिर्द आगे-पीछे (to and fro) होती है, तो उसे दोलनी या कंपन गति (oscillatory or vibratory motion) कहते हैं। उदाहरण के लिए, लोलक (pendulum) की गति, कमानी (स्प्रिंग) से बँधे किसी पिंड की गति, सितार के तार अथवा तबले के ढोल (drum) का कंपन आदि दोलनी गति के उदाहरण हैं। प्रायः सभी दोलनी गति आवर्त गति होती है, परंतु आवर्त गति अनिवार्यतः दोलनी गति नहीं होती। जैसे पृथ्वी की वार्षिक गति आवर्ती तो है, पर दोलनी नहीं; क्योंकि यह गति किसी बिंदु के आगे-पीछे (to and fro) नहीं होती है।

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आवर्ती फलन (Periodic Function):

दोलनी गति हमेशा किसी आवर्ती फलन (periodic function) द्वारा व्यक्त की जाती है। तरंग गति (wave motion) में तरंग के संचरण (transmission) के क्रम में माध्यम के प्रत्येक कण एक निश्चित अंतराल के बाद उत्तरोत्तर अपना कंपन दुहराते रहते हैं। उदाहरण के लिए विस्थापन y को समय t और स्थिति x के फलन के रूप में निम्नांकित रूप से व्यक्त किया गया है—

                                      y = A sin ωt = A sin (2π/T0)t

                                      y = A sin kx = A sin (2π/λ)x

सरल आवर्त गति की परिभाषा (Definition of Simple Harmonic Motion):

यदि कोई कण किसी निश्चित बिंदु (कण की साम्य स्थिति) के इधर-उधर एक सरल रेखा में इस प्रकार गतिशील हो कि इसपर कार्यकारी प्रत्यानयन बल ( restoring force) अथवा इसका त्वरण गति-पथ की प्रत्येक स्थिति में उस निश्चित बिंदु की ओर दिष्ट हो और उस बिंदु से कण की दूरी, अर्थात विस्थापन के समानुपाती हो, तो कण की गति को सरल आवर्त गति (simple harmonic motion) कहा जाता है।” इसे संक्षेप में स० आ० गति (SHM) लिखा जाता है।

“माध्य स्थिति के दोनों ओर निष्पन्न वह सरल रैखिक आवर्त गति जो माध्य स्थिति की ओर दिस्ट रहकर इस प्रकार निष्पन्न होती है कि गति पथ के प्रत्येक बिंदु पर त्वरण का मान माध्य स्थिति से विस्थापन के समानुपाती होता है, सरल आवर्त गति कही जाती है।”

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सरल आवर्त गति की विशेषताएँ (Characteristics of SHM):

(i) यह गति सरल रैखिक (linear) होती है ।

(ii) यह गति माध्य स्थिति के दोनों ओर (to and fro) निष्पन्न होती है।

(iii) गति के त्वरण की दिशा निश्चित बिंदु, अर्थात माध्य स्थिति की ओर दिष्ट (directed) रहती है।

(iv) गति-पथ के प्रत्येक बिंदु का त्वरण (a) का मान माध्य बिंदु से विस्थापन (x) का समानुपाती होता है।

सरल आवर्त गति : एकसमान वृत्तीय गति के प्रक्षेप के रूप में (Representation of SHM as Projection of Uniform Circular Motion):

यदि कोई बिंदु किसी वृत्त की परिधि पर एकसमान चाल से घूम रहा हो, तो उस बिंदु से वृत्त के किसी भी व्यास पर खींचे गए प्रक्षेप (projection) द्वारा निष्पन्न ( executed) गति सरल आवर्त गति (SHM) होती है। लिए गए बिंदु को निर्देश- बिंदु (reference point) तथा वृत्त को निर्देश- वृत्त (reference circle) कहते हैं।

प्रक्षेप N की गति सरल आवर्त गति है। इस प्रकार, सरल आवर्त गति की व्याख्या एकसमान वृत्तीय गति के किसी व्यास के अनुरेख प्रक्षेप द्वारा की जा सकती है। (SHM can be described as the projection of a uniform circular motion along any diameter.)

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सरल आवर्त गति निष्पन्न करते हुए कण की ऊर्जा (Energy of a Particle Executing SHM):

जब कोई कण सरल आवर्त गति(Periodic motion in hindi) में दोलन करता है तो उसपर प्रत्यानयन बल (restoring force) कार्य करता है जो उसे माध्य स्थिति (mean position) में लाने का प्रयत्न करता है। इस बल के कारण, अर्थात माध्य स्थिति से विस्थापित होने पर कण में स्थितिज ऊर्जा ( potential energy) होती है। इसके अतिरिक्त कण दोलन के क्रम में गतिशील रहता है,

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अतः उसमें (गति के कारण) गतिज ऊर्जा (kinetic energy) भी रहती है। दोलन के क्रम में इन ऊर्जाओं का आपस में इस प्रकार विनिमय (exchange) होता रहता है कि इनका योग अचर रहता है, अर्थात सरल आवर्त गति में भी ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत (principle of conservation of energy) मान्य होता है।

एक ही सरल रेखा पर दो सरल आवर्त गतियों का संयोजन (Composition of Two SHM in the Same Straight Line):

जब किसी कण पर एकही दिशा में क्रियाशील दो बलों के कारण सरल आवर्त गतियाँ निष्पन्न होती हैं तो कण का किसी भी क्षण परिणामी विस्थापन दोनों बलों द्वारा उत्पन्न अलग-अलग विस्थापनों के सदिश योग (vector sum) के बराबर होता है ।

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FAQ

सरल आवर्त गति किसे कहते है?

“माध्य स्थिति के दोनों ओर निष्पन्न वह सरल रैखिक आवर्त गति जो माध्य स्थिति की ओर दिस्ट रहकर इस प्रकार निष्पन्न होती है कि गति पथ के प्रत्येक बिंदु पर त्वरण का मान माध्य स्थिति से विस्थापन के समानुपाती होता है, सरल आवर्त गति कही जाती है।”

आवर्त गति किसे कहते है?

किसी कण द्वारा एक निश्चित समयांतराल (time interval) में एक ही निश्चित पथ पर बार-बार दुहराई जानेवाली गति को आवर्त गति (periodic motion) कहते हैं |

सरल आवर्त गति की विशेषताएं क्या है?

(i) यह गति सरल रैखिक (linear) होती है ।
(ii) यह गति माध्य स्थिति के दोनों ओर (to and fro) निष्पन्न होती है।
(iii) गति के त्वरण की दिशा निश्चित बिंदु, अर्थात माध्य स्थिति की ओर दिष्ट (directed) रहती है।
(iv) गति-पथ के प्रत्येक बिंदु का त्वरण (a) का मान माध्य बिंदु से विस्थापन (x) का समानुपाती होता है।

सरल आवर्त गति का समीकरण क्या है?

सरल आवर्त गति का समीकरण Y = A sin (ωt) 

Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”सरल आवर्त गति किसे कहते हैं, परिभाषा, विशेषताएँ(Periodic motion in hindi)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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