क्या आप अवलोकनों में त्रुटियों को समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? चिंता मत करो; आप अकेले नहीं हैं! हमारे पास आपके लिए एकदम सही ब्लॉग पोस्ट है। हम मीन एब्सोल्यूट एरर, रिलेटिव एरर और प्रतिशत एरर की व्याख्या करेंगे, ताकि आप इस जटिल विषय की अपनी समझ के प्रति आश्वस्त हो सकें।
प्रेक्षणों में त्रुटियाँ (Errors in Observations):
प्रायः सभी भौतिक राशियों के मापन में प्रेक्षण (observation) के क्रम में कुछ-न-कुछ अनिश्चितता (uncertainty) अवश्य ही रहती है। इसी अनिश्चितता को त्रुटि कहते हैं। इन्हीं त्रुटियों के कारण प्राप्त मान यथार्थ मान से थोड़ा भिन्न होता है। मापी गई भौतिक राशि को शत-प्रतिशत यथार्थ (exact) नहीं कहा जा सकता है। भौतिक राशि के प्रेक्षित मान (observed value) तथा यथार्थ मान (exact value) के अंतर को त्रुटि (error) कहा जाता है।
त्रुटियाँ दो प्रकार की हो सकती हैं—
(i) क्रमबद्ध त्रुटि (systematic error)
(ii) सांयोगिक त्रुटि (random or accidental error)
क्रमबद्ध त्रुटि (Systematic error) —
जिस त्रुटि के कारण का पता लगाया जा सकता है उसे क्रमबद्ध त्रुटि कहा जाता है। ऐसी त्रुटियाँ हमेशा किसी निश्चित नियमानुसार अर्थात किसी एकही दिशा में धनात्मक या फिर ऋणात्मक होती हैं तथा त्रुटियों का कारण ज्ञात रहने पर उन्हें दूर किया जा सकता है। क्रमबद्ध त्रुटियाँ निम्नलिखित कारणों से हो सकती हैं—
(a) उपकरण के दोष के कारण
(b) प्रेक्षक (observer) की वैयक्तिक (personal) विशिष्टताओं के कारण तथा
(c) बाहरी परिस्थितियों के कारण, जैसे – ताप परिवर्तन आदि –
सांयोगिक त्रुटि (Random or accidental error) –
क्रमबद्ध त्रुटियों के उपर्युक्त तीनों कारणों को दूर करने पर भी भौतिक राशि में अनिवार्यतः (essentially) कुछ त्रुटि रह ही जाती है। इस प्रकार की त्रुटियों का कारण ज्ञात नहीं रहता पर सांख्यिक विधि (statistical method) से इसकी विवेचना की जा सकती है। ऐसी त्रुटि को सांयोगिक त्रुटि कहा जाता है। उदाहरण के लिए, एक पिन विधि से उत्तल लेंस की फोकस – दूरी मापने पर सभी पाठ्यांक एक समान नहीं आते हैं। इस त्रुटि को सांयोगिक त्रुटि कहा जाता है।
यदि मापी गई किसी भौतिक राशि का यथार्थ मान X हो तथा लिए गए प्रेक्षणों से प्राप्त n मान, क्रमशः X1, X 2, .., Xn, हों, तो लिए गए प्रेक्षणों की सांयोगिक त्रुटियाँ क्रमशः X1, X2,…….., Xn होंगी; जहाँ x1 = X1 − X, x2 = X 2 – X,…xn= Xn -X.
अवशेष (Residuals)
सांयोगिक त्रुटियों के धनात्मक तथा ऋणात्मक होने की संभावना समान होती है तथा प्रेक्षणों का समांतर माध्य (arithmetic mean) लेने पर त्रुटि बहुत कुछ कम हो जाती है। यदि लिए गए n प्रेक्षणों का समांतर माध्य X हो, तो
X = X1 + X2 + ... + Xn / n = £Xi/n
समांतर माध्य X को अधिकतम संभाव्य मान (most probable value) कहा जाता है। यह मान (अर्थात X) मापी गई राशि के यथार्थ मान (exact value) से थोड़ा भिन्न अवश्य होता है। प्रेक्षितं (observed) एवं अधिकतम संभाव्य मान के अंतर को अवशेष (residuals) कहा जाता है। यदि अवशेषों को क्रमशः §1, §2,…, Sn से सूचित करें, तो
§1 = X 1 − X, §2 = X 2 - X, ..., §n = Xn -X.
सांयोगिक त्रुटि और अवशेष, अवलोकनों के क्रम में अचर या क्रमबद्ध नहीं होते हैं। प्राप्त अवलोकनों में बड़ी त्रुटियाँ अथवा अवशेषों की अपेक्षा छोटी त्रुटियाँ अधिक होती हैं तथा बड़ी त्रुटियाँ बहुत कम होती हैं। स्पष्टतः प्रेक्षण में सांयोगिक घट-बढ़ (random fluctuations) होना निश्चित है।
माध्य निरपेक्ष त्रुटि, आपेक्षिक त्रुटि एवं प्रतिशत त्रुटि (Mean Absolute Error, Relative Error and Percentage Error):
यदि किसी भौतिक राशि का यथार्थ मान X हो तथा लिए गए N प्रेक्षणों से प्राप्त मान क्रमशः X1, X2,…,Xn हों, तो प्रेक्षणों की त्रुटियाँ क्रमशः x1 = X1 – X, x2 = X2 – X,…., xn = X N − X होंगी। चूँकि ये त्रुटियाँ धनात्मक और ऋणात्मक दोनों हो सकती हैं, परंतु निरपेक्ष त्रुटि (absolute error) अर्थात |xi| हमेशा धनात्मक होगी। अतः, त्रुटियों के चिह्नों की उपेक्षा करने पर इनका समांतर माध्य –
a = £|xi| / N ……….... 1.2
a के मान से औसत त्रुटि व्यक्त होती है। निरपेक्ष त्रुटि के स्थान पर प्रायः आपेक्षिक त्रुटि या प्रतिशत त्रुटि व्यक्त की जाती है जो माध्य निरपेक्ष त्रुटि (a) एवं भौतिक राशि के माध्य मान X के अनुपात से प्राप्त होती है, अर्थात
प्रतिशत त्रुटि = a / x (100%). …………1.3
सार्थक अंक (Significant Figures)
किसी भौतिक राशि की माप को जिन अंकों से व्यक्त किया जाता है उनमें कुछ अंक विश्वसनीय (reliable) होते हैं और एक अंक संदिग्ध (doubtful) होता है। उदाहरण के लिए मीटर स्केल से मापी गई लंबाई यदि 19.2cm हो, तो दो अंक (1 और 9) यथार्थतः ज्ञात हैं, लेकिन तीसरा अंक अर्थात 2 संदिग्ध है, क्योंकि माप का सही मान 19.15 cm एवं 19.25cm के बीच पड़ता है।
इस प्रकार यथार्थतः ज्ञात किए गए अंकों के अतिरिक्त एक अन्य अंक अर्थात संदिग्ध अंक भी होता है। इन सभी अंकों को विश्वसनीय अंक कहा जाता है। अतः, किसी माप में जितने विश्वसनीय अंक (शून्य भी) होते हैं, उन्हें सार्थक अंक (significant figures) कहा जाता है। इस प्रकार किसी माप का सार्थक अंक यथार्थतः ज्ञात किए गए अंकों की संख्या से एक अधिक होता है। उदाहरण के लिए, स्लाइड कैलिपर्स द्वारा मापी गई लंबाई 11.23 में यथार्थतः ज्ञात किए गए अंकों ( 1, 1, 2) की संख्या तीन, संदिग्ध अंक (3) की संख्या एक तथा सार्थक अंकों (1, 1, 2, 3) की संख्या चार है।
सार्थक अंक निर्धारित करने के निम्नलिखित नियम हैं-
(a) मापी गई भौतिक राशि को निरूपित करनेवाली संख्या में सभी अशून्य अंक (nonzero numbers) सार्थक होते हैं। जैसे 24.32 में सार्थक अंकों की संख्या चार है।
(b) अशून्य अंकों के बीच यदि शून्यांक हो, तो उसे भी सार्थक अंक कहा जाता है। जैसे 103.206 kg में सार्थक अंकों की संख्या छह है।
(c) यदि मापी गई किसी संख्या में दशमलव नहीं हो, तो उसके अंतिम अशून्य अंक के बाद आने वाले सभी शून्य सार्थक नहीं होते। जैसे 38600kg में सार्थक अंकों (3, 8, 6) की संख्या मात्र तीन है, पाँच नहीं।
(d) यदि किसी संख्या में दशमलव का स्थान स्पष्ट हो, लेकिन दशमलव के बाद केवल शून्य हो, तो दशमलव एवं अंतिम अशून्य अंक के बीच सभी शून्य भी सार्थक अंक होते हैं। जैसे, 38600.0kg में 3, 8, 6 के अतिरिक्त दो शून्य भी सार्थक अंक हैं, अर्थात सार्थक अंकों की संख्या पाँच है।
(e) यदि किसी संख्या में दशमलव से पहले कोई अशून्य अंक नहीं हो, तो दशमलव एवं अशून्य अंकों के बीच स्थित कोई भी शून्य सार्थक नहीं होगा। जैसे, 0.00035 km में सार्थक अंकों (3 और 5) की संख्या मात्र दो है।
चरघातांकी संकेत एवं सार्थक अंक (Exponential Notation and Significant Figures):
भौतिकी में प्रायः बहुत सूक्ष्म राशियाँ तथा बहुत बड़ी राशियाँ भी प्रयुक्त होती हैं, जैसे प्रोटॉन की प्रभावी त्रिज्या (1.2×10^-11 मीटर) से लेकर आकाशगंगा (galaxy) की त्रिज्या (6×10^19 मीटर ) । ऐसी राशियों को केवल अंकों में (बिना घात के) व्यक्त करना असुविधाजनक होता है। अतः, ऐसी संख्या के प्रथम अंक के बाद दशमलव बिंदु लेकर उसे 10 के घात के रूप में व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, 0,0000342 kg को 3,42 ×10^-5 kg या 438000 km को 4.38×10^5 km लिखा जाता है। इस प्रकार के संकेत को चरघातांकी संकेत (exponential notation) कहा जाता है।
चरघातांकी संकेत में वह संख्या जो 10 के घात के गुणक के रूप में व्यक्त की जाती है उसके सभी अंक सार्थक माने जाते हैं। अतः माप को चरघातांकी संकेत में लिखते समय इसके अंकों की संख्या सार्थक अंकों के बराबर रखी जाती है। जैसे, 438000km में मात्र तीन सार्थक अंक हैं,अतः चरघातांकी संकेत में इसे 4.38×10^5 km लिखेंगे |लेकिन 438000.0 km में छह सार्थक अंक हैं, अतः इसे 4.38000×10^5 km लिखेंगे |
अनिश्चित संख्याओं का पूर्णन (Rounding off the Uncertain Digits)
गणितीय परिकलन के बाद प्राप्त संख्या में दशमलव के बाद आनेवाले सभी संदिग्ध अंकों (insignificant digits) को हटा दिया जाता है तथा दशमलव के बाईं ओर आनेवाले संदिग्ध अंकों के स्थान पर शून्य लिखा जाता है। न्यूनतम सार्थक अंक (least significant digit) का पूर्णन (round off) करने के लिए निम्नलिखित नियम मान्य होता है ।
X जिस अंक x का पूर्णन करना है उसके बाद आनेवाला अंक यदि 5 से अधिक हो, तो पूर्णन करनेवाले अंक, अर्थात x में 1 जोड़ दिया जाता है तथा 5 से कम होने पर उसे अपरिवर्तित छोड़ दिया जाता है। यदि पूर्णन करनेवाली संख्या x के बाद अंक 5 हो, तो x के विषम (odd) होने पर x में 1 जोड़ा जाता है तथा x के सम (even) होने पर इसे अपरिवर्तित छोड़ दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि संख्या 23472 को तीन सार्थक अंक तक पूर्णन करना हो, तो इसमें 2, 3 तथा 4 सार्थक अंक होंगे तथा 7 तथा 2 महत्त्वहीन होंगे। अब चूँकि तीसरा सार्थक अंक 4 है तथा उसके बाद का अंक 5 से अधिक (अर्थात 7) है, अतः 7 तथा 2 के स्थान पर शून्य लिखेंगे तथा 4 में 1 जोड़कर इसे 5 से व्यक्त करेंगे। अतः, तीन सार्थक अंक तक व्यक्त करने के क्रम में 23472 को 23500 से व्यक्त करेंगे। ठीक इसी प्रकार 17.823 को 17.8 से, 17.750 को 17.8 से तथा 14.65 को 14.6 से पूर्णन करते हैं।
Conclusion
दोस्तों हमारा Blog….”प्रेक्षणों में त्रुटियाँ और माध्य निरपेक्ष त्रुटि, आपेक्षिक त्रुटि एवं प्रतिशत त्रुटि (Mean Absolute Error, Relative Error and Percentage Error) “पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.