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गैसों का गतिज सिद्धांत क्या है, ऐवोगाड़ो स्थिरांक और मोल की संकल्पना (Kinetic Theory of Gases)

गैसों का गतिज सिद्धांत (kinetic theory of gases):

प्रकृति में सभी पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों के मिलने से बनते हैं जिन्हें अणु (molecules) कहा जाता है। अणु किसी पदार्थ का वह छोटे-से-छोटा कण है जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है तथा जिसमें उस पदार्थ के सभी गुण पाए जाते हैं। किसी एक ही पदार्थ के अणु एकसमान (identical) होते हैं, परंतु भिन्न-भिन्न पदार्थों के अणु रचना (structure), आकार (size) और प्रकृति (nature) में भिन्न होते हैं।

किसी पदार्थ के अणु विरामावस्था (rest ) में नहीं रहते बल्कि लगातार गति करते रहते हैं जिसे आणविक गति (molecular motion) कहा जाता है। ठोस पदार्थ के अणु एक-दूसरे के अति निकट होते हैं तथा प्रबल ससंजन बल (cohesive force) से परस्पर बँधे रहते हैं। अतः, वे अपनी साम्य स्थिति (equilibrium position ) को नहीं छोड़ सकते, बल्कि इस स्थिति के इर्द-गिर्द कंपन (oscillation) करते रहते हैं।

द्रवों के अणु अपेक्षाकृत दूर-दूर होते हैं और उनके बीच ससंजन बल ठोस पदार्थों की अपेक्षा कम होता है। अतः, द्रव के अणु द्रव के भीतर स्वतंत्रतापूर्वक चल तो सकते हैं, परंतु द्रव को छोड़कर उससे बाहर नहीं जा सकते । द्रव के अणुओं की अनियमित गति का प्रायोगिक प्रमाण सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने 1827 में दिया था जिसे ब्राउनी गति (Brownian motion) कहा जाता है।

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गैसों के अणु एक-दूसरे से द्रवों की अपेक्षा और भी अधिक दूर-दूर होते हैं तथा उनके बीच संसंजन बल लगभग नगण्य होता है। अतः, ये अणु तीव्र चाल से और अनियमित रूप से प्रत्येक दिशा में गति करते रहते हैं। इस धारणा को कि “गैस के अणु तीव्र चाल से तथा अनियमित रूप से (randomly) प्रत्येक दिशा में गति करते रहते हैं”, गैसों का गतिज सिद्धांत (kinetic theory of gases) कहा जाता है।

पदार्थों में ऊष्मीय ऊर्जा (heat energy) अणुओं की गतिशीलता, अर्थात गतिज ऊर्जा के कारण होती है। यही कारण है कि किसी पदार्थ को ऊष्मा देने पर उसके अणुओं की अनियमित गति (random motion) अर्थात आणविक विक्षोभ (molecular agitation) में वृद्धि हो जाती है। गैस के अणुओं के बीच अधिक दूरी रहने के कारण अधिकांशतः रिक्त स्थान ही होता है जिसमें वे अणु सभी संभव दिशाओं में लगातार तीव्र सरल रैखिक गति करते रहते हैं। गति के क्रम में अणु बार-बार आपस में तथा बरंतन की दीवार से टकराते हैं जिससे इनकी चाल का परिणाम तथा उसकी दिशा लगातार बदलती रहती है तथा दीवार पर गैस द्वारा दाब आरोपित होता है।

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गैसों के गतिज सिद्धांत की मूल मान्यताएँ (Basic Assumptions of Kinetic Theory of Gases):

गैरसां का गतिज सिद्धांत निम्नलिखित मूल मान्यताओं (basic assumptions) पर आधारित है।

(a) किसी गैस के प्रत्येक अणु सूक्ष्म आकार के पूर्ण प्रत्यास्थ (perfectly elastic) दृढ़ ठोस गोले के समान होते हैं, जो सभी दृष्टिकोणों से (जैसे – द्रव्यमान, रूप, आकार आदि में) एक-दूसरे के बिल्कुल सदृश होते हैं।

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(b) अणुओं का आकार सूक्ष्म होने के कारण इन्हें बिंदुवत (point like) माना जाता है, अर्थात दो अणुओं के बीच की दूरी की तुलना में इनका आकार नगण्य माना जाता है।

(c) गैस के अणु लगातार अनियमित रूप से (randomly) सभी संभव चालों से युक्त सभी संभव दिशाओं में गतिशील रहते हैं जिसे आणविक दुर्व्यवस्था (molecular chaos) कहा जाता है। स्पष्टतः, स्थायी स्थिति (steady state) में संपूर्ण बरतन के भीतर अणुओं का वितरण, अर्थात आणविक घनत्व (molecular density) एकसमान (uniform) रहता है।

(d) गति के क्रम में अणु एक-दूसरे से तथा बरतन की दीवारों से टकराते हैं। अणुओं की टक्कर (collision) पूर्णतः प्रत्यास्थ (perfectly elastic) होती है, फलतः संवेग और गतिज ऊर्जा संरक्षित रहते हैं ।

(e) अणुओं के बीच आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल नहीं लगता है, स्पष्टतः गैस की स्थितिज ऊर्जा (potential energy) शून्य होती है तथा कुल ऊर्जा पूर्ण रूप से गतिज (kinetic) होती है।

(f) दो क्रमवर्ती टक्करों (consecutive collisions) के बीच अणु एकसमान चाल से सीधी रेखा में चलते हैं। अणु द्वारा तय किए गए टेढ़े-मेढ़े (zig-zag) सरल रैखिक पथ को मुक्त पथ (free path) तथा इनके माध्य मान (mean value or average value) को माध्य मुक्त पथ (mean free path) कहा जाता है ।

(g) अणुओं की टक्कर में लगा समय अर्थात टक्कर के समय जितनी देर तक अणु एक-दूसरे को स्पर्श करते हैं, माध्य मुक्त पथ तय करने में लगे समय की तुलना में नगण्य होता है अर्थात अणुओं की टक्कर तात्क्षणिक (instantaneous) होती है।

आदर्श गैस (ideal gas) उसे कहते हैं जिसके लिए उपर्युक्त मान्यताएँ पूरी तरह से लागू होती हैं।

आदर्श गैस वह है जो दाब तथा ताप की प्रत्येक अवस्था में बॉयल एवं चार्ल्स के नियमों का पूर्णतः पालन करती है। इसके अणु अत्यंत सूक्ष्म होते हैं जिनके बीच परस्पर आकर्षण बल नहीं होता। अतः, इसकी आंतरिक ऊर्जा पूर्णतः अणुओं की गतिज ऊर्जा होती है, तथा ताप के नियत रहने पर यह आयतन पर निर्भर नहीं करती। स्पष्ट है कि आदर्श गैस को द्रवित नहीं किया जा सकता और न ही ठोस बनाया जा सकता है, क्योंकि द्रव तथा ठोस अवस्थाओं में अणुओं के बीच आकर्षण होना आवश्यक है।

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ऐवोगाड़ो स्थिरांक और मोल की संकल्पना (Avogadro Constant and Concept of Mole):

शुद्ध कार्बन-12 के ठीक 12 x 10^-3 kg में कार्बन परमाणुओं की संख्या को ऐवोगाड्रो स्थिरांक (Avogadro constant) कहा जाता है। इसे संकेत NA से दर्शाते हैं।

स्वातंत्र्य-कोटियाँ (Degrees of Freedom):

किसी गतिक निकाय (dynamic system) के विन्यास (configuration) को पूर्णत: वर्णित करने के लिए आवश्यक स्वतंत्र निर्देशांकों की संख्या को निकाय की स्वातंत्र्य-कोटियाँ कहते हैं।

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Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”गैसों का गतिज सिद्धांत क्या है, ऐवोगाड़ो स्थिरांक और मोल की संकल्पना (Kinetic Theory of Gases)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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