हीमोफिलिया (Haemophilia kya hai )
यह एक लिंग-सहलग्न अप्रभावी लक्षण (sex-linked recessive trait) है जिस रोग से मनुष्यों में रुधिर जमने की क्षमता नहीं के बराबर होती है। इस रोग के चलते शरीर के किसी भाग के कटने से रुधिर का प्रवाह अविरल होता रहता है । रूधिर को जमानेवाले प्रोटीन का संश्लेषण इस रोग से ग्रसित लोगों में नहीं हो पाता है एवं इससे संबंधित जीन X क्रोमोसोम पर पाए जाते हैं।
अगर सामान्य पुरुष की शादी हीमोफिलिया रोग के वाहक स्त्री (carrier woman) से होती है तो इन दोनों से उत्पन्न मादा संतानों में 50% सामान्य एवं 50% हीमोफिलिया रोग के वाहक होंगे जबकि नर संतानों में 50% सामान्य एवं 50% हीमोफिलिया रोग से ग्रस्त होंगे।
इसके विपरीत अगर किसी सामान्य स्त्री का विवाह हीमोफिलिक पुरुष के साथ होता है तो F1 पीढ़ी में सभी पुत्रियाँ सामान्य, परंतु रोगवाहक होंगी तथा सभी पुत्र सामान्य होंगे। इन दोनों परिस्थितियों में मादा संतानें रोगग्रस्त नहीं हो सकती हैं, क्योंकि इन दो X क्रोमोसोम में एक हमेशा सामान्य एवं प्रभावी होता है।
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वर्णांधता (Colour blindness)
इस रोग से ग्रस्त रोगी लाल एवं हरे रंग की पहचान नहीं कर सकते हैं। इस रोग से संबंधित जीन X क्रोमोसोम पर पाया जाता है एवं सामान्य दृष्टिवाले ऐलील के समक्ष यह अप्रभावी (recessive) होता है।
जब किसी वर्णांध स्त्री (colour-blind woman) की शादी एक सामान्य दृष्टिवाले पुरुष के साथ होती है तो F1 पीढ़ी में सभी पुत्रियाँ सामान्य दृष्टिवाली होंगी एवं सभी पुत्र वर्णांध होंगे। ऐसा इसलिए होता है कि सभी पुत्रों को वर्णांध माता से X-सहलग्न वर्णांध अप्रभावी जीन प्राप्त होता है। पुत्रियों में वर्णांधता इसलिए प्रकट नहीं होती, क्योंकि इन्हें माता से वर्णाधता की X-सहलग्न अप्रभावी जीन प्राप्त होते हैं, लेकिन पिता से प्राप्त होनेवाले X क्रोमोसोम में सामान्य दृष्टि के लिए प्रभावी जीन रहता है जो वर्णांधता वाले ऐलील के प्रभाव को दबा देता है, लेकिन इस ऐलील की उपस्थिति के कारण पुत्रियाँ वर्णांधता की वाहक (carrier) होती हैं।
अगर किसी वर्णांधतावाहक स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष के साथ होता है तो F1 पीढ़ी में एक होमोजाइगस वर्णांध पुत्री, एक हेटेरोजाइगस रोगवाहक पुत्री, एक सामान्य दृष्टि वाले तथा एक वर्णांध पुत्र पैदा होते हैं।
जब सामान्य दृष्टिवाली स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष के साथ होता है तो F1 पीढ़ी में सभी पुत्र समान्य दृष्टिवाले तथा सभी पुत्रियाँ वर्णांधवाहक होती हैं। चूँकि पुत्रियाँ वर्णांधवाहक या हेटेरोजाइगस होती हैं, अतः यह वर्णांधता को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित करती हैं।
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