Fluid in hindi-हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस article मे तरल किसे कहते है, तरल का अर्थ, तरल की परिभाषा, उत्प्लावकता, आर्किमीडीज का सिद्धांत(Fluid in hindi)” के बारे में जानेंगे. अगर आप विज्ञान के छात्र हैं तो आपके मन में यह सवाल कभी ना कभी जरूर आया होगा. दोस्तों इस आर्टिकल में हम तरल परिभाषा, सूत्र और उदाहरण के साथ सभी चीजों को समझेंगे. आर्टिकल के अंत में हमने आपके लिए FAQ सेक्शन रखा है. जिसमें महत्वपूर्ण सवालों के संक्षेप में जवाब दिए जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं.
तरल (Fluid in hindi):
“तरल, पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें वह बह सकता है। (Matter which can flow is fluid.) ठोस का प्रवाह संभव नहीं है, लेकिन द्रव एवं गैस दाबांतर ( pressure difference) के कारण प्रवाहित होते हैं। अतः, द्रव (liquids) एवं गैस (gases) को तरल कहा जाता है।”
उत्प्लावकता (Buoyancy) : आर्किमीडीज का सिद्धांत (Archimedes’ Principle):
‘जब कोई वस्तु किसी तरल में पूर्णत: या अंशत: डूबती है, तो उसके भार में आभासी कमी आ जाती है जो वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा हटाए गए द्रव या गैस के भार के बराबर होती है।”
कुएँ से पानी निकालते समय पानी से भरी बाल्टी जब तक पानी के अंदर रहती है, हलकी मालूम पड़ती है, परंतु पानी से बाहर आते ही बाल्टी भारी मालूम पड़ती है। जब हम पानी में डुबकी लगाते हैं तो पानी हमें ऊपर की ओर उछालता-सा लगता है। इन बातों से यह स्पष्ट है कि द्रव में डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगता है जिसके कारण उसके भार में एक आभासी कमी आ जाती है। इस उपरिमुखी (upward) बल को उस वस्तु पर द्रव की उत्प्लावकता (buoyancy) कहते हैं। वास्तव में प्रत्येक तरल अर्थात द्रव या गैस उत्प्लावन प्रदर्शित करता है।
सबसे पहले यूनानी वैज्ञानिक आर्किमीडीज (287-212 ई०पू०) ने उत्प्लावन से संबद्ध तथ्यों का प्रेक्षण किया और एक सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसे आर्किमीडीज का सिद्धांत कहा जाता है। इसे हम इस प्रकार परिभाषित करते हैं.
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जब किसी वस्तु को किसी तरल में डुबाया जाता है तो उस वस्तु पर दो प्रकार के बल लगते हैं.
(i) गुरुत्व बल (force of gravity) W1 जो वस्तु पर नीचे की ओर लगता है,
(ii) तरल की उत्प्लावकता W2 (जो आर्किमीडीज के सिद्धांत के अनुसार, वस्तु द्वारा हटाए गए तरल(Fluid in hindi) के भार के बराबर होता है) जो वस्तु पर ऊपर की ओर लगता है।
इन दोनों बलों W↑ तथा W½ के आपेक्षिक परिणामों के अनुसार निम्नलिखित तीन स्थितियाँ संभव हैं।
(a) जब W1 > W2, अर्थात जब वस्तु पर लगता गुरुत्व-बल उसके द्वारा हटाए गए तरल के भार से अधिक होता है, तो वस्तु पर नीचे की ओर एक परिणामी बल (resultant force) लगेगा, और इसलिए वस्तु तरल में नीचे डूब जाएगी। चूँकि वस्तु का आयतन वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के आयतन के बराबर है, परंतु वस्तु पर लगता गुरुत्व बल उसके द्वारा हटाए गए तरल के भार से अधिक है, इसलिए किसी तरल में किसी वस्तु को डूबने के लिए वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से अधिक होना चाहिए। यही कारण है कि धातु (जैसे, लोहा) का टुकड़ा पानी में डूब जाता है।
(b) जब W1 = W2, अर्थात जब वस्तु पर लगता गुरुत्व-बल, वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर हो, तो वस्तु का परिणामी बल शून्य होगा और इसलिए वस्तु द्रव में पूरा डूबा हुआ प्लवन करता रहेगा, अर्थात तैरता रहेगा। अतः, तरल में पूर्णतः डूबकर वस्तु के प्लवन करने के लिए वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व के बराबर होना चाहिए।
(c) जब W1 < W2, अर्थात जब वस्तु पर लगता गुरुत्व-बल उसके द्वारा हटाए गए तरल के भार से कम होगा, तो वस्तु पर ऊपर की ओर परिणामी बल लगेगा जिससे वस्तु ऊपर की ओर उठने लगेगी और तरल में अंशतः डूबकर प्लवन करेगी। इस स्थिति में वस्तु का केवल उतना ही भाग तरल में रहेगा जिसके द्वारा हटाए गए तरल का भार W2, वस्तु पर लगते गुरुत्व-बल W1 के बराबर हो। चूँकि हटाए गए तरल का आयतन वस्तु के आयतन से कम है, किंतु हटाए गए तरल का भार वस्तु पर लगते गुरुत्व बल के बराबर है, इसलिए तरल में अंशतः डूबकर वस्तु के प्लवन करने के लिए वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से कम होना चाहिए । यही कारण है कि लकड़ी का टुकड़ा पानी में अंशतः डूबकर प्लवन करता है।
आदर्श तरल (Ideal Fluid in hindi):
वैसे तरल को आदर्श तरल कहा जाता है जिसमें निम्नलिखित दो गुण होते हैं।
(a) शून्य संपीड्यता (Zero compressibility) –
यदि तरल (द्रव अथवा गैस) को दबाने पर उसके आयतन अथवा घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं हो, तो उसे असंपीड्य (incompressible) कहा जाता है। गैसों की अपेक्षा द्रव अधिक असंपीड्य होते हैं। उदाहरणार्थ, पानी पर प्रति एकांक वायुमंडलीय दाब लगाने पर उसका आयतन अपने प्रारंभिक आयतन का केवल 0.000048 भाग घटता है। अतः, द्रवों को प्रायः असंपीड्य माना जाता है, क्योंकि उन्हें दबाने पर उनके आयतन में होनेवाला परिवर्तन लगभग नगण्य होता है।
द्रवों की तुलना में गैसें संपीड्य (compressible) होती हैं, लेकिन निम्न दाबांतर पर गैसों के प्रवाह में इन्हें असंपीड्य माना जा सकता है।
(b) शून्य श्यानता (Zero viscosity) –
तरलों के प्रवाह में उनकी विभिन्न परतों (layers) के बीच आपेक्षिक गति ( relative motion) होती है जिसके कारण परतों के बीच आंतरिक घर्षण बल लगता है। द्रव या गैस के प्रवाह में आंतरिक घर्षण के इस गुण को श्यानता (viscosity) कहा जाता है। आदर्श तरल के लिए श्यानता का मान शून्य माना जाता है और उन्हें अश्यान तरल (nonviscous fluid) कहा जाता है। प्रायः सभी तरल कुछ-न-कुछ श्यान अवश्य होते हैं।
(Fluid in hindi), “असंपीड्य तथा अश्यान तरल को आदर्श तरल कहा जाता है।“
प्रवाह-रेखा और प्रवाह – नली (Line of Flow and Tube of Flow):
प्रवाह-रेखा (Line of flow) –
बहते हुए तरल का एक अल्पांश (element) जिंस पथ पर चलता है उसे प्रवाह-रेखा (line of flow) कहा जाता है। प्रवाह रेखा के विभिन्न बिंदुओं पर अल्पांश का वेग परिमाण एवं दिशा में भिन्न-भिन्न होता है। प्रवाह के क्रम में किसी बिंदु से होकर गुजरनेवाला प्रत्येक कण जब अपने पूर्ववर्ती कणों की प्रवाह – रेखा पर चलता है, तो इसे अपरिवर्ती (steady) या धारारेखी (streamline) प्रवाह कहा जाता है। इस प्रवाह में प्रत्येक बिंदु से गुजरनेवाले क्रमवर्ती कणों का वेग, परिमाण एवं दिशा में समय के साथ नहीं बदलता है। इसके विपरीत जब प्रवाह-रेखा के किसी बिंदु पर कण का वेग परिमाण एवं दिशा में समय के साथ बदलता रहे, तो इसे अनियमित (disorderly) या विक्षुब्ध (turbulent) प्रवाह कहा जाता है।
प्रवाह-नली (Tube of flow) –
यदि तरल के भीतर एक क्षेत्र अल्पांश ( area element) S की परिधि से गुजरनेवाली धारा रेखाओं पर विचार करें, तो इन रेखाओं के भीतर एक नली की आकृति प्राप्त होगी। तरल-प्रवाह में धारा रेखाओं से घिरी ऐसी नली को प्रवाह-नली (tube of flow) कहा जाता है।
चूँकि प्रवाह-नली की दीवारें प्रत्येक स्थान पर तरल प्रवाह की दिशा के समांतर होती हैं, अतः इन (काल्पनिक) दीवारों के भीतर बहनेवाला द्रव न तो भीतर से बाहर आ सकता है और न ही बाहर से इनके भीतर प्रवेश कर सकता है। स्पष्टतः, प्रवाह ऐसा होता है मानो द्रव एक वास्तविक नली से होकर गुजर रहा है। ऐसे प्रवाह को धारारेखी प्रवाह कहा जाता है।
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FAQ
Q. तरल किसे कहते है?
“तरल, पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें वह बह सकता है। (Matter which can flow is fluid.) ठोस का प्रवाह संभव नहीं है, लेकिन द्रव एवं गैस दाबांतर ( pressure difference) के कारण प्रवाहित होते हैं। अतः, द्रव (liquids) एवं गैस (gases) को तरल कहा जाता है।”
Q. आदर्श तरल किसे कहते है?
वैसे तरल को आदर्श तरल कहा जाता है जिसमें निम्नलिखित दो गुण होते हैं। (a) शून्य संपीड्यता (Zero compressibility), (b) शून्य श्यानता (Zero viscosity)
Q. आर्किमीडीज का सिद्धांत क्या है?
‘जब कोई वस्तु किसी तरल में पूर्णत: या अंशत: डूबती है, तो उसके भार में आभासी कमी आ जाती है जो वस्तु के डूबे हुए भाग द्वारा हटाए गए द्रव या गैस के भार के बराबर होती है।”
Q. उत्प्लावकता किसे कहते है?
द्रव में डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगता है जिसके कारण उसके भार में एक आभासी कमी आ जाती है। इस उपरिमुखी (upward) बल को उस वस्तु पर द्रव की उत्प्लावकता (buoyancy) कहते हैं।
Conclusion
दोस्तों हमारा Blog….”तरल किसे कहते है, तरल का अर्थ, तरल की परिभाषा, उत्प्लावकता, आर्किमीडीज का सिद्धांत(Fluid in hindi)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.