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प्रत्यास्थता और प्रतिबल क्या है, परिभाषा, सूत्र , उदाहरण(Elasticity in hindi)

Elasticity in hindi-हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस article मे ” प्रत्यास्थता क्या है, परिभाषा, सूत्र , उदाहरण(Elasticity in hindi)” के बारे में जानेंगे. अगर आप विज्ञान के छात्र हैं तो आपके मन में यह सवाल कभी ना कभी जरूर आया होगा. दोस्तों इस आर्टिकल में हम परिभाषा, सूत्र और उदाहरण के साथ सभी चीजों को समझेंगे. आर्टिकल के अंत में हमने आपके लिए FAQ सेक्शन रखा है. जिसमें महत्वपूर्ण सवालों के संक्षेप में जवाब दिए जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं.

प्रत्यास्थता (Elasticity):

प्रत्यास्थता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण वस्तु पर लगनेवाले विरूपक बल को हटा लेने पर वस्तु अपना मूल आकार और रूप प्राप्त कर लेती है।

जब किसी वस्तु पर बाह्य बल लगाया जाता है तब वस्तु के आकार या आयतन अथवा दोनों में परिवर्तन हो जाता है। वस्तु के आकार अथवा आयतन के परिवर्तन की माप वस्तु के अणुओं के बीच लगनेवाले बलों से हो जाती है। प्रत्येक वस्तु अपने इसी अंतराअणुक बल (intermolecular force) के कारण बाहरी बलों का विरोध करती है तथा प्रत्येक वस्तु में आकार अथवा आयतन में उत्पन्न परिवर्तनों का विरोध करने का गुण विद्यमान रहता है।

बाह्य बलों को हटा लेने के बाद वस्तु अपनी पूर्व अवस्था (आकार तथा आयतन) में आ जाती है या आने का प्रयत्न करती है। ऐसे पदार्थों को प्रत्यास्थ (elastic) पदार्थ तथा उनके इस गुण को प्रत्यास्थता (elasticity) कहा जाता है। वस्तु पर लगनेवाले बाह्य बल को विरूपक बल (deforming force) तथा वस्तु में बल के कारण होनेवाले परिवर्तन को विरूपण (deformation ) कहा जाता है।

बाह्य बल के अधीन वस्तु में होनेवाले परिवर्तन की प्रकृति को देखते हुए पदार्थों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है। वैसे पदार्थ जो विरूपक बल हटा लेने पर अपने पूर्व आकार और रूप पूर्णतः प्राप्त कर लेते हैं, पूर्णत: प्रत्यास्थ (perfectly elastic) कहलाते हैं। इसके विपरीत, वैसे पदार्थ जो विरूपक बल हटा लेने पर अपनी पूर्वावस्था में नहीं लौटते अर्थात हमेशा के लिए विरूपित हो जाते हैं, अप्रत्यास्थ या प्लैस्टिक (plastic) कहलाते हैं।

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प्रत्यास्थता सीमा (Elastic Limit):

जब किसी धातु के तार या स्प्रिंग पर भार लटकाया जाता है तो वह लंबाई में बढ़ जाता है। भार हटा लेने के बाद वह फिर अपनी पुरानी स्थिति में आ जाता है। यदि तार या स्प्रिंग पर लटकाए गए भार का मान धीरे-धीरे बढ़ाया जाए तो एक ऐसी स्थिति आ जाती है जबकि उससे अधिक भार को रखकर हटा लेने पर वह अपनी पूर्व स्थिति में नहीं लौटती। ऐसी अवस्था में तार या स्प्रिंग हमेशा के लिए विकृत (strained) हो जाती है। इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि उसके प्रत्यास्थता का गुण नष्ट हो गया है। इस प्रकार तार या स्प्रिंग में प्रत्यास्थता तब तक ही रहती है जब तक कि उस पर आरोपित बल (लटकनेवाला भार) का मान एक निश्चित सीमा के अंदर होता है। पदार्थों की इस सीमा को जिससे आगे उसकी प्रत्यास्थता का गुण समाप्त हो जाता है, प्रत्यास्थता सीमा (elastic limit) कहते हैं ।

प्रतिबल (Stress):

जब किसी वस्तु पर विरूपक बल लगते हैं तो वस्तु में आंतरिक बल (internal forces) उत्पन्न हो जाते हैं। ये आंतरिक बल वस्तु के प्रत्येक भाग को उसपर लगे बाह्य बलों के साथ संतुलन में रखने का प्रयत्न करते हैं। वस्तुतः, आंतरिक बलों की उत्पत्ति वस्तु के अणुओं के विस्थापन के कारण होती है। उदाहरण के लिए, हम एकसमान छड़ (uniform rod) AB पर विचार करते हैं, जिसके सिरों पर विपरीत दिशा में समान परिमाण के दो तनन बल (stretching forces) F, F लगे हुए हैं। चूँकि संपूर्ण छड़ दोनों बलों की क्रिया के अधीन संतुलन में है, इसलिए इसकी किसी काट P के ऊपर का भाग AP भी संतुलन में होगा। अतः, आंतरिक बलों के परिणामी F1 को भाग AP पर भाग PB द्वारा काट P के आर-पार अवश्य लगना चाहिए, जहाँ F1 = F. इसी प्रकार, आंतरिक बलों का परिणामी F2, भाग PB पर भाग AP द्वारा काट P के आर-पार लगता है।

यदि संपूर्ण छड़ पर विचार किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि तनन बल F, F की क्रिया के अधीन छड़ AB की किसी भी काट P पर बराबर और विपरीत बल लगते हैं जो एक-दूसरे को प्रभावहीन कर देते हैं।

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प्रतिबल परिभाषा

यदि छड़ के किसी काट पर आंतरिक बल एकसमान रूप से वितरित हों, तो काट के प्रति एकांक क्षेत्रफल (α) पर लगनेवाले आंतरिक बलों (F1/α या F2/α) को प्रतिबल (stress) कहा जाता है। “

?\”दूसरे शब्दों में, प्रतिबल, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगनेवाला प्रत्यानयन बल (restoring force) है।

  • प्रतिबल का SI मात्रक Nm^-2 होता है और इसकी विमाएँ ML^-1 T^-2 होती हैं। – 2 होता है।
  • [cgs पद्धति में प्रतिबल का मात्रक dyne cm^-2]

हुक का नियम (Hooke’s Law):

1678 में रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने प्रयोगों के आधार पर एक नियम का प्रतिपादन किया जो है — 

“कम विरूपण (small deformation) के लिए प्रतिबल हमेशा विकृति के समानुपाती होता है। “

यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Young’s Modulus of Elasticity):

जब किसी वस्तु पर लंबाई की दिशा में कोई विरूपक बल (deforming force) लगाया जाता है, तो इस बल के कारण प्रति एकांक लंबाई में परिवर्तन को अनुदैर्घ्य विकृति (linear strain) कहते हैं। । वस्तु के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर कार्य करनेवाले बल को अनुदैर्घ्य प्रतिबल कहते हैं।

 कम विरूपण (small deformation) के लिए अनुदैर्ध्य प्रतिबल और अनुदैर्ध्य विकृति के अनुपात को वस्तु के पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Young’s modulus of elasticity) कहते हैं और इसे Y से सूचित करते हैं।

अतः,                           यंग प्रत्यास्थता गुणांक =अनुदैर्ध्य प्रतिबल / अनुदैर्घ्य विकृति 

[हुक के नियम का यह कथन (statement) कि प्रत्यास्थता सीमा (elastic limit) के अंदर प्रतिबल हमेशा विकृति के समानुपाती होता है, भ्रामक है। वास्तव में यह कथन जिस स्थिति तक मान्य होता है उसे समानुपाती सीमा (proportional limit) कहा जाता है। सामान्यतः प्रत्यास्थता सीमा, समानुपाती सीमा के बाद होती है । समानुपाती सीमा से प्रत्यास्थता सीमा के बीच प्रतिबल, विकृति के समानुपाती नहीं होती है। प्रत्यास्थता सीमा की माप उस स्थिति में कार्यकारी प्रतिबल से होती है।]

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आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (Bulk Modulus of Elasticity):

जब किसी वस्तु की पूरी सतह पर लंबवत दिशा में समान रूप से विरूपक बल लगाया जाता है तो वस्तु के आयतन में परिवर्तन होता है, आकृति (shape) में परिवर्तन नहीं होता। यदि वस्तु की पूरी सतह का क्षेत्रफल A हो और पूरी सतह पर लगनेवाले विरूपक बल का परिमाण F हो, तो

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                                                                  प्रतिबल = F / A

फिर, यदि वस्तु का आयतन V तथा विरूपक बल के कारण आयतन में उत्पन्न परिवर्तन ΔV तो

                                                               आयतन विकृति = ΔV / V

“कम विरूपण के लिए प्रतिबल और आयतन विकृति के अनुपात को वस्तु के पदार्थ का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (Bulk modulus of elasticity) कहते हैं|”

दृढ़ता गुणांक (Modulus of Rigidity):

कम विरूपण के लिए, स्पर्शरेखीय प्रतिबल ( tangential stress) और अपरूपण विकृति (shearing strain) के अनुपात को वस्तु के पदार्थ का दृढ़ता गुणांक (modulus of rigidity) कहते हैं और इसे η से सूचित करते हैं।

               अतः, दृढ़ता गुणांक η = स्पर्शरेखीय प्रतिबल / अपरूपण विकृति 

दृढ़ता गुणांक का SI मात्रक Nm^- 2 होता है और इसकी विमाएँ ML^-1 T^-2 होती हैं। 

[नोट : ध्यान दें, Y, K और η के SI मात्रक और उनकी विमाएँ ( dimensions) समान होती हैं । ]

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FAQ

Q. प्रत्यास्थता क्या है?

प्रत्यास्थता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण वस्तु पर लगनेवाले विरूपक बल को हटा लेने पर वस्तु अपना मूल आकार और रूप प्राप्त कर लेती है।

Q. प्रत्यास्थता गुणांक किसे कहते हैं?

दोस्तों प्रतिबल और विकृति के अनुपात को प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं। इसका मात्रक `”N/m”^2` होता है।

Q. प्रतिबल क्या है?

यदि छड़ के किसी काट पर आंतरिक बल एकसमान रूप से वितरित हों, तो काट के प्रति एकांक क्षेत्रफल (α) पर लगनेवाले आंतरिक बलों (F1/α या F2/α) को प्रतिबल (stress) कहा जाता है। “

Q. प्रतिबल का मात्रक क्या है?

प्रतिबल का SI मात्रक Nm^-2 होता है

Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”प्रत्यास्थता क्या है, परिभाषा, सूत्र , उदाहरण(Elasticity in hindi)पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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