Daab kise kahate hain-हेलो दोस्तों नमस्कार आज इस article मे दाब किसे कहते हैं, मात्रक, परिभाषा, सूत्र(pressure in hindi)” के बारे में जानेंगे. अगर आप विज्ञान के छात्र हैं तो आपके मन में यह सवाल कभी ना कभी जरूर आया होगा. दोस्तों इस आर्टिकल में हम दाब परिभाषा, सूत्र और उदाहरण के साथ सभी चीजों को समझेंगे. आर्टिकल के अंत में हमने आपके लिए FAQ सेक्शन रखा है. जिसमें महत्वपूर्ण सवालों के संक्षेप में जवाब दिए जाएंगे. तो चलिए शुरू करते हैं.
दाब (Pressure in hindi):
Daab kise kahate hain–
“किसी पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगनेवाले अभिलंबवत बल को दाब कहते हैं।”
- दाब = भार / क्षेत्रफल
यदि पृष्ठ क्षेत्रफल ΔA पर कार्यरत अभिलंबवत बल ΔF हो, तो पृष्ठ पर औसत दाब rbsigzorila AF Pav ΔΑ
P(av) = ΔF/ΔA
यदि क्षेत्रफल अत्यंत छोटा हो, तो दाब की परिभाषा निम्नांकित होगी।
P = lim ( ΔF/ ΔA )
ΔA→0
दाब का SI मात्रक Nm^-2 होता है जिसे पास्कल (pascal) कहा जाता है और इसे संकेताक्षर Pa से सूचित करते हैं। अतः,
1 Pa = 1 Nm^−2.
दाब के उदाहरण ( Examples of pressure in hindi ) —

मकानों की नींव चौड़ी बनाई जाती है –
पूरे मकान का भार नींव पर पड़ता है। नींव चौड़ी होने पर क्षेत्रफल अधिक होगा, अतः पृथ्वी पर आरोपित दाब(pressure in hindi) कम होगा, फलस्वरूप मकान नीचे नहीं धँसेगा।
भारी बोझ वाले ट्रकों के टायर अधिक चौड़े बनाए जाते हैं—
पूरे ट्रक का भार टायरों पर पड़ता है। चूँकि दाब = भार / क्षेत्रफल, अतः यदि टायर कम चौड़े (अर्थात कम क्षेत्रफल के) होंगे, तो उनपर दाब अधिक पड़ेगा। फलस्वरूप, उनके कटने की अधिक संभावना होगी। टायर के चौड़े होने पर क्षेत्रफल अधिक होगा, फलस्वरूप टायरों का दाब कम होगा और उनके कटने की संभावना नहीं होगी।
दाब-गहराई संबंध के अनुप्रयोग (Applications of pressure-depth relations):
गोताखोर धातु का कवच पहनकर समुद्र में डुबकी लगाते हैं—
जल के भीतर जाने पर दाब में वृद्धि होती है। प्रति 10 मीटर जल से नीचे जाने पर दाब में 1 वायुमंडल की वृद्धि हो जाती है। यदि यह दाब सीधे गोताखोर पर पड़े, तो अधिक गहराई में जाने पर उसका शरीर इस दाब को सहन नहीं कर सकेगा।
अतः, अधिक गहराई तक जाने के लिए गोताखोर धातु का कवच पहन लेता है। अब जल स्तंभ का दाब धातु के कवच पर पड़ता है तथा कवच के भीतर दाब लगभग वायुमंडल के दाब के बराबर ही बना रहता है। इस प्रकार कवच पहनने पर गोताखोर के शरीर को कोई हानि नहीं पहुँचती।
बाँध की दीवारें नीचे मोटी बनाई जाती हैं—
द्रव के भीतर किसी बिंदु पर दाब उस बिंदु की द्रव के स्वतंत्र तल के गहराई पर निर्भर करता है। अतः, बाँध की तली में जल का बहुत अधिक दाब पड़ता है। इस दाब को सहन करने के लिए आधार पर बाँध की दीवार बहुत मोटी बनाई जाती है। जैसे-जैसे ऊपर जाते हैं, दाब भी घटता जाता है, अतः ऊपर जाने पर दीवार की मोटाई कम करते जाते हैं। यही कारण है कि बाँध की दीवार आधार पर मोटी तथा ऊपर पतली बनाई जाती है।
पास्कल का नियम (Pascal’s Law ):
“बंद द्रव पर डाला गया दाब द्रव तथा बरतन के प्रत्येक भाग पर बिना घटे हुए संचारित होता है। यह दाब वरतन की दीवार पर अभिलंब (normal) दिशा में लगता है।”
बलों के गुणन का सिद्धांत (Principle of Multiplication of Forces):
पास्कल के नियम के सिद्धांत पर ही द्रव के किसी सतह पर कम बल लगाकर द्रव की दूसरी सतह से अधिक बोझ उठाया जाता है, अर्थात कम बल लगाकर अधिक बोझ उठाना।
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पास्कल-नियम के कुछ अनुप्रयोग (Some Applications of Pascal’s Law):
(a) हाइड्रॉलिक लिफ्ट (Hydraulic lift) या द्रव-चालित दाबक (Hydraulic press) –
यह द्रव के दाब – संचार पर आधारित बलों के गुणन के सिद्धांत (principle of multiplication of forces) पर कार्य करता है। इस उपकरण में लोहे के दो बरतन A तथा B होते हैं जो एक नली D द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। बरतन A सँकरा होता है तथा बरतन B काफी चौड़ा होता है। दोनों में उनकी नाप के अनुसार दो पिस्टन क्रमशः Q और R लगे रहते हैं। छोटे बरतन A का पिस्टन एक लीवर (lever) L के साथ जुड़ा रहता है। इस लीवर का आलंब (fulcrum) F छोटे बरतन के ऊपरी सिरे पर होता है।
लीवर बिंदु K पर पिस्टन से संबंधित रहता है। पानी से भरी एक छोटी टंकी T का संबंध बरतन A से एक वाल्व (valve)V1 द्वारा होता है। इस वाल्व के कारण पानी केवल एकही दिशा में अर्थात टंकी से बरतन A में ही जा सकता है। बरतन A में एक और वाल्व V2 लगा रहता है जो पानी को नली D में जाने देता है और यह बरतन B की ओर ही खुलता है। इस वाल्व के कारण पानी केवल A से B की ओर ही जा सकता है। पिस्टन R, जिसे रैम (ram) कहते हैं, के ऊपरी सिरे पर एक प्लैटफॉर्म जैसा बना होता है तथा इससे कुछ ऊँचाई पर छतनुमा एक मजबूत चादर लोहे के खंभों पर जुड़ा रहता है। दाबी जानेवाली वस्तु को प्लैटफॉर्म पर रखा जाता है। जैसे-जैसे उपकरण के अंदर पानी का दाब बढ़ता जाता है, प्लैटफॉर्म पर रखी वस्तु ऊपर वाली चादर द्वारा दबती है ।
वस्तु को दाब(Daab kise kahate hain)देने के बाद पिस्टन R को अपने पूर्व स्थान पर लाने के लिए संयोजक नली (connecting tube) D का संबंध टंकी T से एक नली द्वारा करा दिया जाता है। इस नली में एक स्टॉप-कॉक (stopcock) C लगी रहती है, जिसे खोल देने पर बरतन B का पानी टंकी में वापस चला जाता है।
(b) द्रवचालित ब्रेक (Hydraulic brake) –
पास्कल के सिद्धांत पर द्रवचालित ब्रेक भी बनाए जाते हैं। ऐसे ब्रेक का उपयोग मोटरगाड़ियों में होता है। जब चालक ब्रेक-पेडल (brake pedal) को दबाता है तब ब्रेक- तरल पर दाब लगता है। यह दाब एकही साथ चार बेलनों के द्रव में संचारित होता है। इसके परिणामस्वरूप बेलनों के पिस्टनों पर प्रणोद (thrust) उत्पन्न होते हैं, फलतः पिस्टन ब्रेक के शू (shoes) को दबाते हैं। इस प्रकार के ब्रेक से लाभ यह है कि ब्रेक-पेडल को दबाने पर सभी ब्रेक- ड्रमों पर एक ही बल उत्पन्न होता है। परंतु, इसमें दोष यह है कि जब ब्रेक-तंत्र (brake system) के भिन्न-भिन्न भागों से संबंध स्थापित करनेवाली नली चिटक (crack) जाती है या जब द्रव कहीं से चूने लगता है तब चारों ब्रेक एक-ही-साथ काम करना बंद कर देते हैं।
द्रव स्थैतिक विरोधाभास (Hydrostatic Paradox):
वैसी घटनाएँ जो आमतौर पर असंभव प्रतीत होती हैं, परंतु उनके संभव होने के उचित एवं पर्याप्त कारण हैं, विरोधाभास (paradox) कही जाती है। द्रव-स्थैतिकी में कुछ ऐसी घटनाएँ मिलती हैं— इन्हें ही द्रव-स्थैतिक विरोधाभास कहा जाता है। इसका एक उदाहरण आगे दिया गया है
द्रव-स्थैतिक धौंकनी (Hydrostatic bellows) — इस व्यवस्था में पानी की बहुत कम मात्रा से बड़े भारों को सँभाला जाता है। ऐसे तो यह संभव नहीं लगता है, परंतु बलों के गुणन के सिद्धांत से इसे समझाया जा सकता है।
इसमें चमड़े की बनी एक धौंकनी B रहती है जिसका ऊपरी भाग और निचला भाग (पेंदी) लकड़ी का रहता है। धौंकनी के निचले भाग से काँच की एक लंबी और पतली नली C जुड़ी रहती है। धौंकनी को समतल में तथा नली C को ऊर्ध्वाधर रूप से खड़ा करके रखा जाता है। धौंकनी का पूरा भाग तथा नली का कुछ भाग पानी से भर दिया जाता है। धौंकनी के ऊपर लकड़ी का एक पटरा रख दिया जाता है।
इससे नली C में पानी का तल कुछ ऊपर उठ जाता है। अब यदि इस पटरे पर कोई भारी समान W रखा जाता है तो उसे नली C में सिर्फ थोड़ा-सा ही पानी डालकर सँभाल लिया जाता है। काँच की नली में स्थित पानी द्वारा आरोपित दाब धौंकनी में रखे पानी में सभी दिशाओं में बिना घटे संचारित होता है। इस प्रकार धौंकनी के ऊपरी भाग पर संचारित दाब(pressure in hindi) द्वारा उत्पन्न बल का मान बड़ा हो जाता है, क्योंकि धौंकनी का क्षेत्रफल काँच की नली के क्षेत्रफल से कई गुना अधिक होता है।
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FAQ
Q. दाब किसे कहते है?
“किसी पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगनेवाले अभिलंबवत बल को दाब कहते हैं।”
Q. दाब का सूत्र क्या होता है?
दाब = भार / क्षेत्रफल
Q. दाब का मात्रक क्या है?
दाब का SI मात्रक Nm^-2 होता है जिसे पास्कल (pascal) कहा जाता है और इसे संकेताक्षर Pa से सूचित करते हैं।
Q. वायुमंडलीय दाब किसे कहते हैं?
पृथ्वी के वायुमंडल के द्वारा किसी इकाई सतह पर लगने वाले बल को दाब कहते है?
Conclusion
दोस्तों हमारा Blog….”दाब किसे कहते हैं, मात्रक, परिभाषा, सूत्र(Daab kise kahate hain)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.