श्यानता किसे कहते है(Viscosity in hindi)
Viscosity definition in hindi-दोस्तों श्यानता तरल पदार्थों का एक विशेष गुण होता है जिसके कारण तरल अपने परतो के बीच लगने वाले गति का विरोध करता है, विरोध करने के इसी गुण को श्यानता कहा जाता है. जबकि तरल के परतो के बीच लगने वाले बल को श्यान बल कहा जाता है. इसे अच्छे से समझने के लिए नीचे आपको कुछ उदाहरण दिया गए हैं.
श्यानता : तरल-प्रवाह में आंतरिक घर्षण (Viscosity : Internal Friction in Fluid-Flow):
Viscosity in hindi-किसी ठोस क्षैतिज तल पर बहते हुए द्रव की कल्पना करते हैं. जैसे— नहर की तली के समांतर प्रवाहित जल (water flowing along a canal bed) । यदि प्रवाह धीमा एवं स्थायी (slow and steady) हो, तो यह देखा जाता है कि द्रव की वह परत (layer) जो स्थिर क्षैतिज तल (जैसे नहर की तली) के संपर्क में है, स्थिर रहती है, लेकिन जैसे-जैसे स्थिर है| तल से ऊपर की ओर बढ़ते हैं, द्रव की विभिन्न परतों का वेग एकसमान रूप से बढ़ता जाता तथा पृष्ठ-परत (surface layer) का वेग महत्तम हो जाता है। [इस प्रकार का प्रवाह स्तरीय प्रवाह (laminar flow) कहलाता है । ]
वेग प्रवणता (Velocity Gradient):
मान लिया कि स्तरीय प्रवाह में स्थिर तल AB से x तथा x + dx दूरियों पर तरल की परतों के वेग क्रमशः v और v+dv हैं। इसलिए, प्रवाह की दिशा के लंबवत dx दूरी पर स्थित परतों के बीच आपेक्षिक वेग dv होगा। अतः, प्रति एकांक दूरी के लिए आपेक्षिक वेग = dv/dx यहाँ dv/dx को प्रवाह की लंबवत दिशा में वेग प्रवणता (velocity gradient) कहा जाता है ।
- वेग प्रवणता एक सदिश है। वेग प्रवणता का SI मात्रक s^-1 होता है और इसकी विमा (dimension) T^-1 होती है।
श्यानता गुणांक (Coefficient of Viscosity in hindi ):
न्यूटन के अनुसार, तरल-प्रवाह में किन्हीं दो परतों के बीच क्रियाशील श्यान बल F निम्नलिखित दो बातों पर निर्भर करता है।
(a) यह, अर्थात श्यान बल परतों के संपर्क क्षेत्रफल (area of contact) A के समानुपाती होता है (F ∝ A),
(b) यह प्रवाह की वेग प्रवणता के समानुपाती होता है| (F ∝ dv/dxZ)
इस प्रकार, F ∝ A (dv/dx)
F = -ηA (dv/dx) …….(1)
यहाँ η (इटा)' एक नियतांक है जिसे तरल का श्यानता गुणांक (coefficient of viscosity) कहा जाता है। यह नियतांक तरल की प्रकृति तथा उसकी भौतिक अवस्था (जैसे ताप, दाब आदि) पर निर्भर करता है। समीकरण (1) में ऋणात्मक चिह्न श्यान-बल की अवरोधक प्रकृति को व्यक्त करता है।
श्यानता गुणांक η की परिभाषा (Definition of coefficient of viscosity, η) - समीकरण (1) में यदि A = 1 तथा dv/dx = 1 रखें, तो F = −η
अतः, किसी तरह का श्यानता गुणांक संख्यात्मक रूप से उस स्पर्श रेखीय बल के बराबर होता है जो तरल के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगकर उसके प्रवाह के लंबवत दिशा में एकांक वेग प्रवणता बनाए रखे। [The coefficient of viscosity of a liquid is numerically equal to the tangential force acting per unit area (or the tangential stress), so as to maintain unit velocity gradient in the direction normal to the direction of flow.]
- श्यानता गुणांक का SI मात्रक kg m^-1 S^-1 अथवा Nsm^-2 होता है तथा इसे Pa s (pascal second) से निरूपित करते हैं।
- श्यानता गुणांक की विमाएँ (dimensions) ML^-1T^-1 होती हैं। [cgs पद्धति में श्यानता गुणांक का मात्रक प्वाज (poise) होता है।]
1 Nsm^-2 = 1Pa s = 10 poise.
धारारेखी प्रवाह तथा विक्षुब्ध प्रवाह ( Streamline Flow and Turbulent Flow):
तरल का प्रवाह दो प्रकार का होता है:
(a) धारारेखी (streamline) तथा (b) विक्षुब्ध (turbulent)
धारारेखी प्रवाह (Streamline flow) –
तरल का वैसा प्रवाह जिसमें प्रवाह रेखा के अनुदिश (along) किसी बिंदु से गुजरनेवाले प्रत्येक क्रमवर्ती कणों का वेग परिमाण एवं दिशा में समय के साथ अपरिवर्तित रहता है, धारारेखी प्रवाह कहा जाता है। धारारेखी प्रवाह में तरल-प्रवाह को कायम रखने के लिए दी गई ऊर्जा श्यान बल(Viscosity in hindi)के विरोध में किए गए यांत्रिक कार्य में खर्च होती है। अतः, धारारेखी प्रवाह तरल के श्यानता गुणांक (η) से निर्धारित होता है।
विक्षुब्ध प्रवाह (Turbulent flow) –
तरल का वैसा प्रवाह जिसमें किसी बिंदु से गुजरने वाले क्रमवर्ती कणों का वेग परिमाण एवं दिशा में समय के साथ लगातार परिवर्तित होता रहता है, विक्षुब्ध प्रवाह कहा जाता है। विक्षुब्ध प्रवाह में तरल को दी गई आवश्यक ऊर्जा भँवर-धाराओं (eddy currents) को उत्पन्न करने में खर्च होती है। अतः, यह प्रवाह तरल के श्यानता गुणांक से नहीं, वरन तरल के घनत्व (ρ) से निर्धारित होता है।
क्रांतिक वेग तथा रेनल्ड्स संख्या (Critical Velocity and Reynolds Number):
किसी नली से प्रवाहित होनेवाले तरल के प्रवाह की प्रकृति तरल के वेग पर निर्भर करती है। अल्प वेग के लिए प्रवाह धारारेखी रहता है । वेग के बढ़ने के क्रम में एक महत्तम वेग तक प्रवाह धारारेखी रहता है और वेग की इस चरम सीमा को पार करते ही प्रवाह विक्षुब्ध हो जाता है। तरल के प्रवाह-वेग के इसी महत्तम मान को उस तरल के प्रवाह का क्रांतिक वेग (critical velocity) कहा जाता है। इसे संकेत Ve से सूचित किया जाता है।
[η को निरपेक्ष श्यानता (absolute viscosity) या गतिज श्यानता (dynamic viscosity) भी कहा जाता है। η के व्युत्क्रम (reciprocal) को तरलता (fluidity ) कहा जाता है ।]
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चरम वेग (Terminal Velocity):
जब कोई वस्तु किसी तरल (द्रव या गैस) में गुरुत्व के अधीन गिरती है, तो वस्तु के संपर्कवाली तरल-परत (fluid-layer) भी वस्तु के वेग से चलने का प्रयत्न करती है जबकि इससे बहुत दूर की परत विरामावस्था में ही रहती है। इस प्रकार वस्तु की गति तरल की विभिन्न परतों के बीच आपेक्षिक गति उत्पन्न कर देती है। फलतः, तरल में श्यान बल (viscous force) कार्य करने लगता है और वस्तु पर एक अवरोधक बल (retarding force) लगने लगता है। अवरोधक बल का मान वस्तु के बढ़ते हुए वेग के साथ-साथ बढ़ता जाता है।
यदि वस्तु का भार कम हो, तो यह देखा जाता है कि एक ऐसी स्थिति आती है जबकि श्यानता(Viscosity in hindi)के कारण अवरोधक बल वस्तु के प्रभावी भार (effective weight) के बराबर हो जाता है । इस स्थिति में वस्तु पर क्रियाशील परिणामी बल शून्य हो जाता है और वस्तु एक नियत वेग से, जिसे चरम वेग या सीमांत वेग (terminal velocity) कहा जाता है, गुरुत्व के अधीन गिरती है।
स्टोक्स का नियम (Stokes’ Law):
सर जॉर्ज स्टोक्स (Sir George Stokes) ने सर्वप्रथम 1885 में यह प्रमाणित किया कि अनंत विस्तार (infinite extension) के किसी श्यान तरल में यदि कोई गोलीय पिंड (spherical body) किसी वेग से गतिशील हो, तो उसपर लगनेवाला श्यान बल
F = 6πηrv ……………….(1)
होता है, जहाँ η = माध्यम का श्यानता गुणांक, r = गोली की त्रिज्या तथा v = तरल के सापेक्ष गोलीय पिंड का वेग ।
समीकरण (1)द्वारा व्यक्त संबंध को स्टोक्स का नियम (Stokes' law) कहा जाता है।
श्यानता एवं चरम वेग के कुछ उदाहरण (Some Examples of Viscous Force and Terminal Velocity):
बादल का बनना —
वायु में उपस्थित जलवाष्प जब धूलकणों पर संघनित होता है, तो बहुत छोटी-छोटी बूँदें बनती हैं। इन बूँदों का वायु में भार बहुत कम होता है, अतः वायु के श्यान बल के कारण वे शीघ्र ही सीमांत वेग प्राप्त कर लेती हैं, जिसका मान बहुत कम होता है। इनके कम वेग के कारण ये आकाश में तैरती हुई प्रतीत होती हैं। इन्हें ही बादल कहा जाता ।
वर्षा की बूँदों की चाल –
धूल के कणों पर संघनित जलवाष्प की छोटी-छोटी बूँदे वायु के श्यान बल के कारण शीघ्र ही सीमांत वेग प्राप्त कर लेती है। चूँकि सीमांत वेग का मान त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है, अर्थात
vT ∝ r²
अतः, छोटी बूँदें कम चाल से तथा बड़ी बूँदें अधिक चाल से नीचे की ओर गिरती हैं।
पैराशूट की सहायता से नीचे गिरना –
जब कोई सैनिक पैराशूट लेकर वायुयान से कृढता है, तो प्रारंभ में उसका वेग तेजी से बढ़ता है तथा वायु की श्यानता उसके वेग को कम करने का प्रयास करती है। पैराशूट के खुल जाने पर वायु ऊपर की ओर अधिक श्यान बल लगाती है (चूँकि श्यान बल ∝ पृष्ठ क्षेत्रफल) जिससे सैनिक का वेग कम होता जाता है, अंत में वह नियत सीमांत वेग से नीचे गिरने लगता है, अतः वह पृथ्वी पर सुरक्षित उतर जाता है।
FAQ
श्यानता क्या है?
श्यानता तरल पदार्थों का एक विशेष गुण होता है जिसके कारण तरल अपने परतो के बीच लगने वाले गति का विरोध करता है, विरोध करने के इसी गुण को श्यानता कहा जाता है?
श्यान बल क्या है?
तरल के परतो के बीच लगने वाले बल को श्यान बल कहा जाता है
श्यानता गुणांक क्या है?
F = -ηA (dv/dx) यहाँ η (इटा)’ एक नियतांक है जिसे तरल का श्यानता गुणांक (coefficient of viscosity) कहा जाता है।
श्यानता का सूत्र क्या होता है?
श्यानता का सूत्र, F = -ηA (dv/dx)
स्टोक्स का नियम क्या है?
किसी श्यान तरल में यदि कोई गोलीय पिंड (spherical body) किसी वेग से गतिशील हो, तो उसपर लगनेवाला श्यान बल F = 6πηrv होता है, इसे ही स्टोक्स का नियम कहते है.
Conclusion
दोस्तों हमारा Blog….”श्यानता क्या है, श्यानता की परिभाषा, श्यानता गुणांक, श्यान बल, श्यानता की इकाई और सूत्र(Viscosity in hindi)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.