लिंग-निर्धारण (Sex determination)
आप जानते हैं कि लैंगिक जनन (sexual reproduction) में नर युग्मक (male gamete) तथा मादा युग्मक (female gamete) के संयोजन से युग्मनज (zygote) बनता है जो विकसित होकर अपने जनको (parent) जैसा नर या मादा जीव बन जाता है। ड्रोसोफिला, ग्रासहॉपर तथा जिप्सी माँथ पर किए गए अनुसंधानों के आधार पर यह निश्चित हुआ कि क्रोमोसोम के द्वारा ही जीवों में लिंग का निर्धारण होता है।
इसके पहले लिंग-निर्धारण की क्रियाविधि की जानकारी एक पहेली बनी हुई थी। सर्वप्रथम हैंकिंग (Henking) ने 1819 में कुछ कीटों में नर युग्मकों के जनन के समय यह देखा कि 50 प्रतिशत शुक्राणुओं में एक खास संरचना है जबकि अन्य 50 प्रतिशत शुक्राणुओं में यह संरचना नहीं दिखी। इस संरचना को उन्होंने X काय (X body) कहा। हेकिंग यह नहीं समझा सके कि इस संरचना का शुक्राणुओं में क्या कार्य है।
इसके बाद अन्य वैज्ञानिकों ने अपने शोधकार्यों से यह सिद्ध किया कि X काय वस्तुतः एक क्रोमोसोम है जिसे X क्रोमोसोम कहा गया। बहुत-से कीटों में लिंग-निर्धारण की क्रिया-विधि XO तरह की होती है। इनके सभी अंडों (मादा युग्मकों) में अन्य क्रोमोसोम के अलावा एक अतिरिक्त X क्रोमोसोम पाया जाता है जबकि कुछ शुक्राणुओं में यह अतिरिक्त X क्रोमोसोम पाया जाता है एवं कुछ में नहीं पाया जाता है।
परिणामस्वरूप वैसे शुक्राणु जिनमें X क्रोमोसोम रहते हैं उनके निषेचन से जो कीट बनते हैं वे मादा बनते हैं जबकि X क्रोमोसोमरहित शुक्राणु के निषेचन से नर कीट बनते हैं। इस प्रकार X क्रोमोसोम की भूमिका इन कीटों के लिंग-निर्धारण में होती है। वैसे क्रोमोसोम जिनकी भूमिका लिंग-निर्धारण में रहती है, उन्हें लिंग-क्रोमोसोम (sex chromosome) कहते हैं जबकि अन्य क्रोमोसोम, जो जीवों के लिंग को छोड़कर बाकी सभी गुणों को निर्धारित करते हैं, को अलिंग-क्रोमोसोम या ऑटोसोम (autosomes) कहते हैं। विभिन्न जीवों में लिंग निर्धारण की विधि अलग-अलग प्रकार की होती है।
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मानव में लिंग निर्धारण या गुणसूत्र कितने प्रकार के होते हैं (Sex determination in humans )

मनुष्य में 46 क्रोमोसोम 23 जोड़े में व्यवस्थित रहते हैं। इनमें 22 जोड़े क्रोमोसोम नर एवं मादा दोनों में एक ही समान होते हैं जिन्हें अलिंग-क्रोमोसोम या ऑटोसोम कहा जाता है। तेइसवाँ भिन्न प्रकार का होता है, जिसे लिंग-क्रोमोसोम कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं — X और Y। X क्रोमोसोम लंबा और छड़नुमा (rod-shaped) होता है, Y क्रोमोसोम अपेक्षाकृत बहुत छोटे आकार का होता है।
नर में X और Y दोनों लिंग-क्रोमोसोम मौजूद होते हैं, पर मादा में Y क्रोमोसोम अनुपस्थित होता है। उसके स्थान पर एक और X क्रोमोसोम होता है, अर्थात मादा में दो X क्रोमोसोम लिंग-क्रोमोसोम के रूप में होते हैं। ये X और Y क्रोमोसोम ही मनुष्य में लिग – निर्धारण के लिए उत्तरदायी होते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि युग्मकों (gametes) के निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है इसके फलस्वरूप X और Y क्रोमोसोम अलग-अलग युग्मकों में चले जाते हैं। इससे शुक्राणुओं या नर युग्मकों के दो प्रकार हो जाते हैं – X क्रोमोसोमसहित एवं Y क्रोमोसोमसहित यानि 50 प्रतिशत नर युग्मकों में 22 ऑटोसोम एवं लिंग-क्रोमोसोम के रूप में एक X क्रोमोसोम रहता है तथा शेष 50 प्रतिशत र युग्मकों में 22 ऑटोसोम एवं लिंग-क्रोमोसोम के रूप में एक Y क्रोमोसोम रहता है।
इस प्रकार का लिंग-निर्धारण, जिसमें दो विभिन्न प्रकार के नर युग्मकों का निर्माण होता है, को नर विषमयुग्मता (male heterogamety) कहते हैं। पक्षियों एवं कुछ अन्य जीवों में दो विभिन्न प्रकार के मादा युग्मकों का निर्माण होता है जो लिंग निर्धारण करते हैं। इस स्थिति को मादा विषमयुग्मता (female heterogamety) कहते हैं।
मनुष्य में सभी मादा युग्मक या अंडाणु (egg) एक ही प्रकार के होते हैं। इनमें 22 ऑटोसोम तथा एक लिंग-क्रोमोजोम (X) रहता है। इन युग्मकों के निषेचन के फलस्वरूप नर या मादा संतति (male or female offspring) जन्म लेती है। यदि अंडाणु का निषेचन Y क्रोमोसोमसहित नर युग्मक से होता है तो युग्मनज (zygote) में X एवं Y दोनों लिंग-क्रोमोसोम पहुँच जाते हैं।
यह परिवर्धित होकर नर संतति बनाता है। इसके विपरीत X क्रोमोसोम सहित नर युग्मक जब अंडाणु से निषेचित होते हैं तो युग्मनज में दोनों X क्रोमोसोम पहुँच जाते हैं। यह परिवर्धित होकर मादा संतति बनाता है। लिंग- निर्धारण के इस सिद्धांत को हेटेरोगैमेसिस का सिद्धांत (theory of heterogametic) कहते हैं। ड्रोसोफिला के नर में 6 ऑटोसोम एवं XY लिंग-क्रोमोसोम और मादा में 6 ऑटोसोम एवं XX लिंग-क्रोमोसोम विद्यमान होते हैं। इसमें भी लिंग निर्धारण मनुष्य जैसा ही होता है।
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इस प्रकार मनुष्य में शुक्राणु की आनुवंशिक संरचना ही होनेवाले बच्चे के लिंग को निर्धारित करती है यानि 50 प्रतिशत यह संभावना रहती है कि होनेवाला बच्चा लड़का होगा या लड़की होगी एवं इसका निर्धारण निषेचन के समय ही हो जाता है। अशिक्षा के चलते हमारे पुरुष प्रधान समाज में यह गलत धारणा बैठ गई है कि होनेवाले बच्चे के लिंग निर्धारण में माता का दोष है जबकि वस्तुतः यह पिता के शुक्राणु पर निर्भर करता है।
अन्य जीवों में होनेवाले लिंग-निर्धारण से भिन्नता रखने के लिए पक्षियों में लिंग निर्धारण हेतु जिम्मेवार क्रोमोसोम को Z एवं W क्रोमोसोम कहा जाता है। नर पक्षियों में ऑटोसोम के अतिरिक्त एक जोड़ी Z क्रोमोसोम लिंग-निर्धारण के लिए रहती है जबकि मादा पक्षियों में ऑटोसोम के अतिरिक्त लिंगनिर्धारण के लिए दो अलग-अलग प्रकार के क्रोमोसोम (Z एवं W) पाए जाते हैं।
लिंग-सहलग्न वंशागति (Sex-linked inheritance) —
जिन लक्षणों के जीन लिंग क्रोमोसोम (sex chromosome) पर पाए जाते हैं उनकी वंशागति को लिंग-सहलग्न वंशागति कहते हैं। ड्रोसोफिला एवं मनुष्य में लिंग क्रोमोसोम का एक जोड़ा पाया जाता है। मादा में लिंग क्रोमोसोम (XX) एक समान होते हैं और इस युग्म को होमोमॉर्फिक (homomorphic) कहते हैं। जबकि र में लिंग क्रोमोसोम (XY) एक समान नहीं होते हैं। सामान्यतः मादा में X क्रोमोसोम दंडाकार (rod-shaped) तथा Y क्रोमोसोम हुक के आकार के ( hook-shaped ) होते हैं, इसलिए इन्हें हेटेरोमॉर्फिक (heteromorphic) क्रोमोसोम कहते हैं।
लिंग-सहलग्नता (sex linkage) साधारणतया X क्रोमोसोम पर होती है, इसलिए इसे X क्रोमोसोम वंशागति (X chromosome inheritance) भी कहते हैं। इसके विपरीत यदि सहलग्नता Y क्रोमोसोम से हो तो उसे Y सहलग्नता (Y linkage or holandric linkage) कहते हैं और इस प्रकार की वंशागति को होलेड्रिक वंशागति (holandric inheritance) कहते हैं।
इस असाधारण वंशागति के बहुत ही कम उदाहरण हैं, जैसे कानों में बाल की बहुलता (hairy pinna, or hypertrichosis), स्केली त्वचा (scaly skin, or xeroderma) आदि । लिंग क्रोमोसोम को हेटेरोसोम (heterosome) या ऐलोसोम (allosome) भी कहते हैं, इसलिए इस प्रकार की सहलग्नता को हेटेरोसोमल ( heterosomal) या ऐलोसोमल (allosomal) सहलग्नता भी कहते हैं।
X-सहलग्नता के अनेक उदाहरण हैं, जिसमें हीमोफिलिया (haemophilia) एवं वर्णांधता (colour blindness) प्रमुख हैं। ये दोनों रोग लक्षणों से संबंधित जीन X क्रोमोसोम पर पाए जाते हैं। रोग का कारण समयुग्मजी ( homozygous) अवस्था में अप्रभावी जीन होता है, जैसे hh हीमोफिलिया के लिए तथा cc वर्णांधता के लिए।
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ड्रोसोफिला में लिंग-सहलग्नता (Sex linkage in Drosophila) —
ड्रोसोफिला में नर तथा मादा में लिंग-सहलग्नता (लगभग 100) समान रूप से पाई गई है। जब लाल आँखोवाली (red-eyed) मादा का संकरण उजले आँखोवाले (white-eyed) नर से कराया जाता है तो F1 पीढ़ी की सभी संतान (नर एवं मादा ) लाल आँखोंवाली होती है। जब F1 पीढ़ी की लाल आँखोंवाले नर एवं मादा का अंतरसंकरण (cross) कराया जाता है तो F2 पीढ़ी में उत्पन्न सभी मादा संतानें लाल आँखोंवाली होती हैं जबकि नर संतानों में 50% लाल आँखोवाले एवं 50% उजले आँखोंवाले होते हैं।
जब उजले आँखोंवाली मादा ड्रोसोफिला का संकरण लाल आँखोंवाले नर जनक से कराया गया तो F1 पीढ़ी में सभी मादा संतान लाल आँखोंवाली हुई जबकि सभी नर संतान उजले आँखोंवाले पैदा हुए। आपस में जब इनका अंतरसंकरण कराया गया तो F2 पीढ़ी के नर एवं मादा कीटों में 50% लाल आँखोवाले एवं 50% उजले आँखोंवाले पैदा हुए।
मॉर्गन (1910) के इस प्रयोग से यह स्पष्ट होता है कि X क्रोमोसोम पर स्थित लक्षणों का स्थानांतरण माता से संतानों में हो जाता है, लेकिन यह स्थानांतरण पिता से संतानों में नहीं होता है।
मनुष्य में लिंग-सहलग्नता (Sex linkage in man) —
मनुष्य में लगभग 70 लिंग-सहलग्न जीनों की पहचान की गई है जो संतानों के लक्षणों को प्रभावित करते हैं।