क्या आप गति के पीछे की भौतिकी के बारे में जानने में रुचि रखते हैं? क्या आपको गति, बल और टक्कर की बुनियादी समझ है, लेकिन आप और जानना चाहते हैं? अगर ऐसा है, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है! हम इस पोस्ट में रैखिक गति, बल के आवेग और टकराव की मूलभूत अवधारणाओं का पता लगाएंगे।
रैखिक संवेग (Linear Momentum)
किसी पिंड के द्रव्यमान (mass) एवं उसके रैखिक वेग (linear velocity) के गुणनफल को रैखिक संवेग (linear momentum) कहा जाता है। यह एक सदिश राशि (vector quantity) है तथा इसे संकेत p द्वारा निरूपित किया जाता है। यदि द्रव्यमान m के किसी पिंड का किसी समय वेग v हो, तो उस क्षण उसका रैखिक संवेग
p =mv रैखिक संवेग की दिशा हमेशा तात्क्षणिक रैखिक वेग (instantaneous linear velocity) की दिशा के अनुरेख (along) होती है। संवेग का SI मात्रक kg m.s^-1 होता है तथा इसकी विमाएँ (dimensions) MLT^-1 होती हैं।
बल का आवेग (Impulse of a Force):
न्यूटन के द्वितीय गति-नियम से,
बल = रैखिक संवेग के परिवर्तन की दर अर्थात, F=dp/dt, F.dt=dp
उपर्युक्त समीकरण के बाएँ पक्ष की राशि अर्थात Fdt को समयांतराल dt में बल का आवेग (impulse) कहा जाता है। अतः, बल एवं समयांतराल (जब तक बल लगता है) के गुणनफल से परिभाषित भौतिक राशि को बल का आवेग (impulse of force) कहा जाता है।
आवेग एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा लगाए गए बल की दिशा के अनुरेख (along) होती है। आवेग को संकेत J से निरूपित किया जाता है।आवेग का SI मात्रक kg ms^-1 होता है तथा इसकी विमाएँ (dimensions) MLT^-1 होती है।
Read More-जड़त्व आघूर्ण किसे कहते हैं, सूत्र, SI मात्रक, जड़त्व आघूर्ण प्रमेय(Moment of inertia in hindi)
आवेग-संवेग प्रमेय (Impulse – Momentum Theorem):
बल का आवेग, पिंड के रैखिक संवेग में परिवर्तन के बराबर होता है। इसे आवेग-संवेग प्रमेय (impulse-momentum theorem) कहा जाता है।
आवेगी बल (Impulsive Force):
किसी वस्तु पर प्रबल बल अल्प समय तक लगकर उसके संवेग में काफी परिवर्तन ला सकता है। ऐसे अल्पकालिक (momentary) प्रबल बल को आवेगी बल (impulsive force) कहते हैं। टक्कर (collision ) एवं विस्फोट (explosion) के समय उत्पन्न बल, आवेगी बल के उदाहरण हैं। बल्लेबाज द्वारा गेंद पर चोट करते समय एक प्रबल बल अल्पकाल तक लगता है जिससे गेंद के संवेग में पर्याप्त परिवर्तन होता है।
दो वस्तुओं के संस्पर्श (contact) के दरम्यान उन दोनों में अल्पकालिक विरूपण (deformation) होता है और इस क्रम में उनके बीच क्रिया प्रतिक्रिया बल (action-reaction force) अचर नहीं रहता, बल्कि जटिलतः परिवर्ती (variable) होता है।
उदाहरण- क्रिकेट का खिलाड़ी तेजी से आती हुई गेंद को पकड़ते समय अपने हाथों को थोड़ा पीछे की ओर हटा लेता है। क्यों ? – क्रिकेट की गेंद निश्चित संवेग से खिलाड़ी की ओर आती है। जब खिलाड़ी ‘कैच’ लेता है तब गेंद खिलाड़ी के हाथों में टक्कर मारती है। टक्कर के बाद गेंद का संवेग (momentum) शून्य हो जाता है । खिलाड़ी को, गेंद अपने हाथ में विराम की स्थिति में लाने के लिए, मंदन बल (retarding force) लगाना पड़ता है। यदि वह बिना हाथ हटाए गेंद को हाथ में लेता है तो उसे कम समय में अधिक मंदन बल लगाना पड़ेगा।
कैच लेने की क्रिया में खिलाड़ी के हाथों में धक्के (बल) का आवेग गेंद के संवेग-परिवर्तन (change in momentum) के बराबर होता है। चूँकि आवेग = बल x समयांतराल, अतः खिलाड़ी जितना अधिक समय गेंद को रोकने में लगाएगा उतना ही उसके हाथों में धक्का (बल) कम लगेगा। इसलिए खिलाड़ी गेंद के हाथ में आते ही अपना हाथ पीछे की ओर इस प्रकार खींचता है कि t (समय) का मान अधिक हो जाता है। अतः, F का मान कम होगा। इस प्रकार हाथ इस धक्के को सहन कर लेगा। यदि खिलाड़ी गेंद को शीघ्र रोके तो उसपर अधिक बल लगेगा जिससे उसके हाथ में चोट आने की संभावना होगी।
आंतरिक एवं बाह्य बल (Internal and External Forces):
जैसे बल को जो किसी निकाय (system) का एक भाग उसके दूसरे भाग पर आरोपित करता है, आंतरिक बल (internal force) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन के एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के बीच लगनेवाला वैद्युत बल आकर्षण का बल है। यह वैद्युत बल इस अर्थात प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बने हाइड्रोजन परमाणु का आंतरिक बल कहा जाता है।
यदि इस निकाय पर बाहर से कोई भी बल नहीं लगता हो, तो इसे विलगित निकाय (isolated system) कहा जाता है। यदि विलगित निकाय पर बाह्य प्रभावों के कारण अतिरिक्त बल लग रहा हो, तो वैसे बल को बाह्य बल (external force) कहा जाता है।
रैखिक संवेग के संरक्षण का सिद्धांत (Principle of Conservation of Linear Momentum):
किसी विलगित निकाय (isolated system) पर यदि बाह्य परिणामी बल नहीं लग रहा हो, तो निकाय का कुल रैखिक संवेग परिमाण एवं दिशा में अचर (constant) रहता है। इसे रैखिक संवेग के संरक्षण का सिद्धांत (principle of conservation of linear momentum) कहा जाता है। यह सिद्धांत भौतिकी का सर्वाधिक मौलिक (fundamental) तथा सार्वत्रिक (universal) सिद्धांत है तथा अन्योन्यक्रिया (interaction) युक्त किसी विलगित निकाय के लिए मान्य होता है। यह सिद्धांत उन निकायों के लिए लागू नहीं होता जो अन्य निकायों के बल – क्षेत्र से प्रभावित रहते हैं।
उदाहरणार्थ, पृथ्वी-पृष्ठ से ऊपर की ओर फेंके गए पत्थर का संवेग लगातार बदलता रहता है, अर्थात संवेग अचर नहीं रहता। इसका कारण यह है कि निकाय, अर्थात पत्थर बाह्य बल-क्षेत्र, अर्थात गुरुत्व से प्रभावित है। यदि पत्थर एवं पृथ्वी को एक संयुक्त निकाय मान लिया जाए तो अन्य आकाशीय पिंडों (celestial bodies) के प्रभाव को नगण्य मान लेने पर इस विलगित निकाय, अर्थात पृथ्वी एवं पत्थर का रैखिक संवेग अचर रहेगा ।
टक्कर (Collision in hindi):

टक्कर या संघट्ट (collision) एक ऐसा प्रक्रम (process) है जिसमें दो या दो से अधिक पिंड या तो वस्तुतः (actually) आपस में टकराते हैं या फिर परस्पर अन्योन्यक्रिया (mutual interaction) से प्रभावित होकर (बिना संपर्क किए) अपना गति-पथ बदल देते हैं। टक्कर में निकाय के विभिन्न पिंडों के बीच संवेग (momentum) और ऊर्जा का आदान-प्रदान (exchange) अथवा पुनर्वितरण (redistribution) होता है।
दो गोलियों का आपस में टकरा जाना एक टक्कर है, लेकिन α- कणों के गतिपथ का धनावेशित नाभिक के प्रतिकर्षण प्रभाव के कारण विचलन, अर्थात प्रकीर्णन (scattering) भी एक टक्कर है जिसमें कणों का वस्तुतः संपर्क (contact) नहीं होता है ।
Read More-द्रव्यमान केंद्र किसे कहते है(What is the center of mass)
ऊर्जा के विचार से टक्कर तीन प्रकार की होती है—
पूर्णत: प्रत्यास्थ या प्रत्यास्थ टक्कर (Perfectly elastic or Elastic collision) –
यदि टक्कर के पहले और बाद में निकाय की कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित (conserved) रहे, तो इसे पूर्णतः प्रत्यास्थ या (केवल) प्रत्यास्थ टक्कर कहा जाता है।
अप्रत्यास्थ टक्कर (Inelastic collision ) –
यदि टक्कर में निकाय की कुल गतिज ऊर्जा घट जाती हो तो इसे अप्रत्यास्थ टक्कर कहा जाता है। विशेष स्थिति : पूर्णत: अप्रत्यास्थ टक्कर (Perfectly inelastic collision ) – यदि दो पिंड टक्कर के बाद एक साथ सट जाएँ तथा एक ही साथ गतिशील हों, तो इसे पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर कहा जाता है।
विस्फोटी टक्कर (Explosive collision) —
यदि दो वस्तुओं की टक्कर के क्रम में उनका कोई विस्फोटक पदार्थ अचानक विस्फोट कर दे तो निकाय की गतिज ऊर्जा अचानक बढ़ जाती है, किंतु निकाय का कुल संवेग हमेशा नियत रहता है । इस प्रकार की टक्कर को विस्फोटी टक्कर (explosive collision) कहा जाता है। किसी बम का अचानक फट जाना भी अपने-आप में एक विस्फोटी टक्कर है।
[द्रष्टव्य: टक्कर के सभी प्रकारों में निकाय की कुल गतिज ऊर्जा अनिवार्यतः अचर नहीं रहती है, लेकिन रैखिक संवेग अनिवार्यतः अचर (conserved) रहता है । ]
प्रत्यास्थ सम्मुख टक्कर (Elastic Head-on Collision ):
जब दो पिंड एक ही सरल रेखा की सीध में चलकर आपस में, चलते हुए पूर्ण प्रत्यास्थ टक्कर करें, तो इसे प्रत्यास्थ सम्मुख टक्कर कहा जाता है।
प्रत्यवस्थान गुणांक (Coefficient of Restitution):
दो पिंडों की टक्कर के बाद पृथक्करण के आपेक्षिक वेग (relative velocity of separation) और टक्कर से पहले उनके उपगमन के आपेक्षिक वेग (relative velocity of approach) के अनुपात को टक्कर का प्रत्यवस्थान गुणांक कहा जाता है। इसे प्रायः e से निरूपित किया जाता है। अतः,
E=v2-v1/u1-u2 अर्थात पृथक्करण का आपेक्षिक वेग = e x उपगमन का आपेक्षिक वेग (Relative velocity of separation = ex relative velocity of approach)
e का न्यूनतम मान शून्य (पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर के लिए) तथा महत्तम मान 1 (प्रत्यास्थ टक्कर के लिए) होता है। स्पष्टतः 0 ≤ e ≤1.
यदि कोई वस्तु किसी स्थिर समतल की लंबवत दिशा में टक्कर करता हो और टक्कर से पहले एवं बाद में वेग के परिमाण u एवं v हों, तो e की परिभाषा से, v = eu.
Conclusion
दोस्तों हमारा Blog….”रैखिक संवेग, बल का आवेग, टक्कर (Collision in hindi) क्या है(What is linear momentum, impulse of force, collision)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.