You are currently viewing द्विनिषेचन क्या होता है, द्विनिषेचन का महत्त्व, परिभाषा ( Double Fertilization in hindi)

द्विनिषेचन क्या होता है, द्विनिषेचन का महत्त्व, परिभाषा ( Double Fertilization in hindi)

द्विनिषेचन ( Double Fertilization)

भ्रूणकोष (embryo sac ) के अंदर पहुँचने के बाद पराग नलिका (pollen tube) से नरयुग्मक (male gametes ) बाहर निकल आते हैं। इनमें से एक नरयुग्मक अंड कोशिका (egg cell) से संगलन (fusion) करता है और युग्मनज (zygote) बनाता है। दूसरा नरयुग्मक ध्रुवीय केंद्रकों (polar nuclei) से संलयन (fusion) करता है। निषेचन से पूर्व दोनों ध्रुवीय केंद्रक (polar nuclei) मिलकर द्वितीयक केंद्रक (secondary nucleus) बनाते हैं। द्वितीयक केंद्रक तथा नरयुग्मक के संगलन से बनी संरचना को प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक (primary endosperm nucleus) कहते हैं। इस प्रकार निषेचन की क्रिया पूरी होती है।

निषेचन की क्रिया में नरयुग्मक का अंड से मिलकर द्विगुणित युग्मनज (diploid zygote) बनाना तथा द्वितीयक केंद्रक का नरयुग्मक से संलयन द्विनिषेचन (double fertilization) कहलाता है द्विनिषेचन की खोज नावाशिन (Nawaschin) ने 1898 में किया था। उन्होंने फ्रिटिलेरिया (Fritillaria) तथा लिलियम (Lilium) में सर्वप्रथम द्विनिषेचन का पता लगाया था।

  • द्विनिषेचन केवल आवृतबीजी पौधों में पाया जाता है।

नरयुग्मक के अंड से संलयन के फलस्वरूप जाइगोट बनता है। इस प्रकार के निषेचन को युग्मक संलयन (syngamy) या सत्य निषेचन (true fertilization) कहते हैं।

दूसरे नरयुग्मक का केंद्रक द्वितीयक केंद्रक से संलयन करता है तथा प्राइमरी भ्रूणपोष केंद्रक (primary endosperm nucleus) बनाता है। चूँकि इसमें तीन केंद्रकों का संलयन होता है (दो पोलर केंद्रक तथा तीसरा नरयुग्मक), इसमें त्रिगुणित (triploid) केंद्रक बनता है। इस प्रकार के संलयन को त्रिसंलयन (triple fusion) कहते हैं।

See also  मासिक धर्म क्या है, मासिक धर्म चक्र के चरणों, पीरियड कब से शुरू होते हैं (Masik dharm kya hai)

Read More-परागण किसे कहते हैं, प्रकार, परिभाषा, स्वयं परागण क्या है, परागण के उदाहरण (Pollination in hindi, Pollination meaning hindi)

दोहरे निषेचन का महत्त्व ( Significance of double fertilization):

  1. द्विनिषेचन का आवृतबीजी पौधों में विशेष महत्त्व है। यदि पौधे में केवल संयुग्मन (syngamy) होता है और त्रिसंलयन (triple fusion) नहीं हो तो भ्रूणपोष नहीं बनेगा और उसके फलस्वरूप अविकसित भ्रूण वाला बीज बन सकता हैं या बीज भ्रूणहीन ही होगा।
  2. द्विनिषेचन के फलस्वरूप ही भ्रूणपोष का निर्माण होता है। भ्रूणपोष ही भ्रूण को भोज्य पदार्थ उपलब्ध कराता है। भ्रूणपोष में मातृ एवं पितृगुण सूत्र (maternal and paternal chromosomes) पाए जाते हैं। अंतःभ्रूणपोषीय कोशिकाओं में संकर ओज (hybrid vigour) के कारण शरीर क्रियात्मक आक्रामकता (physiological aggressiveness) दिखाती है।

निषेचन में क्रमवार क्रियाएँ निम्नवत हैं।

परागकणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण (Germination of pollen grains on stigma) —

वर्तिकाग्र पर गिरने के बाद परागकणों द्वारा पानी शोषित किया जाता है जिससे परागकण फूल जाते हैं। इनके अंतश्चोल (intine) पराग नलिका (pollen tube) के रूप में जनन छिद्र (germ pore) से बाहर निकलती है। पराग नलिका को सर्वप्रथम इटैलियन वैज्ञानिक एमिसी (Amici) ने पोरचुलाका ओलीरेशिया (Portulaca oleracea) में देखा था। सामान्यतया एक परागकण से केवल एक पराग नलिका निकलती है।

इस प्रकार की पराग नलिका को एकनलिकीय (monosiphonous) कहते हैं। कभी-कभी एक परागकण से एक से ज्यादा पराग नलिकाएँ निकलती हैं। इसे बहुनलिकीय (polysiphonous) कहते हैं। इस प्रकार की अवस्था मालवेसी (malvaceae) या कुकुरबिटेसी (cucurbitaceae) कुल में पाई जाती हैं।

पराग नलिका में एक कायिक केंद्रक ( vegetative nucleus) तथा दो नरयुग्मक (male gametes) होते हैं। पराग नलिका वर्तिकाग्र से वर्तिका (style) में आती है तथा वहाँ से बीजांडद्वार में प्रवेश कर जाती हैं।

See also  सहलग्नता क्या है, आनुवंशिक सहलग्नता, सहलग्नता का गुणसूत्र सिद्धांत, सहलग्नता एवं विनिमय में अंतर

पराग नलिका का बीजांड में प्रवेश (Entry of pollen tube into ovule) —

पराग नलिका भ्रूणकोष में तीन प्रकार से प्रवेश करेगा —

बीजांडद्वार द्वारा ( Through micropyle) —

इस प्रकार में पराग नलिका बीजांडद्वार (micropyle) से प्रवेश करती है। इसे पोरोगैमी (porogamy) कहते हैं। अधिकांश आवृतबीजी पौधों में पराग नलिका बीजांडद्वार से ही प्रवेश करती है।

चैलाजा द्वारा (Through chalaza) –

इसमें पराग नलिका चैलाजा (chalaza) से होती हुई प्रवेश करती है। इस प्रकार को चैलेजोगैमी (chalazogamy) कहते हैं। यह प्रकार कुजुएराइना (Casuarina) या बड़ा झाऊ में पाया जाता है।

बीजांडवृंत या अध्यावरण द्वारा (Through funicle or integument) –

पराग नलिका बीजांड में बीजांडवृंत (funicle) द्वारा या अध्यावरण (integument) से होती हुई प्रवेश करती है। इसे मीजोगैमी (mesogamy) कहते हैं। यह कद्दू या कुकुरबिटा (Cucurbita), पिस्टेसिया (Pistacia) में पाया जाता है।

Read More-पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन, पुंकेसर, स्त्रीकेसर, लघुबीजाणुजनन, संरचना, भ्रूणकोष की संरचना

Leave a Reply