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तापमान किसे कहते है, तापमान की परिभाषा, तापमापन को कैसे मापा जाता है (Tapman kya hai)

ताप (Temperature in hindi):

Temperature in hindi“यदि हम गर्म पानी तथा बर्फ के टुकड़े को बारी-बारी से स्पर्श करें तो पानी गर्म तथा बर्फ का टुकड़ा ठंडा मालूम पड़ता है। किसी वस्तु के गर्म या ठंडा लगने की संवेदना (sensation) इस बात पर में निर्भर करती है कि ऊष्मा का प्रवाह वस्तु से हमारे शरीर में हो रहा है अथवा हमारे शरीर से वस्तु हो रहा है। ऊष्मा के प्रवाह की दिशा प्रदर्शित करने के लिए जिस मूल राशि की आवश्यकता होती है उसे ताप (temperature) कहा जाता है।”

यदि स्पर्श करने पर कोई वस्तु A, किसी अन्य वस्तु B की अपेक्षा गर्म लगती है, तो यह कहा जाता है कि A का ताप B के ताप से अधिक है।


दो वस्तुओं को ऊष्मीय संपर्क (thermal contact) में लाने पर ऊष्मा के प्रवाह की दिशा उनके आपेक्षिक तापों पर निर्भर करती है, न कि उनमें निहित ऊष्मा ऊर्जा के परिमाण पर। जिस प्रकार तरल का प्रवाह अधिक दाब से कम दाब की ओर होता है, उसी प्रकार ऊष्मा भी अधिक ताप से कम ताप की ओर प्रवाहित होती है।

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तापीय साम्य (Thermal Equilibrium):

जब दो वस्तुओं को जिनके ताप एक-दूसरे से भिन्न हों, परस्पर ऊष्मीय संपर्क (thermal contact) में लाया जाता है तो ऊष्मा का प्रवाह ऊँचे तापवाली वस्तु से निम्न तापवाली वस्तु की ओर तब तक होता रहता है जब तक कि दोनों के ताप बराबर नहीं हो जाते। इसके पश्चात ऊष्मा का नेट प्रवाह (net flow) रुक जाता है। इस अवस्था में दोनों वस्तुओं को एक-दूसरे के तापीय साम्य (thermal equilibrium) में कहा जाता है।

ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम (Zeroth Law of Thermodynamics):

तापीय साम्य की अवस्था में दो वस्तुओं के बीच ऊष्मा का नेट प्रवाह शून्य हो जाता है और यह कहा जाता है कि दोनों वस्तुओं के ताप बराबर हैं। तापीय साम्य के विषय में एक महत्त्वपूर्ण नियम यह है कि यदि दो वस्तुएँ A और B, एक तीसरी वस्तु C से अलग-अलग तापीय साम्य की अवस्था में हों, तो A और B स्वयं भी आपस में तापीय साम्य की अवस्था में होंगी। इसी नियम को ऊष्मागतिकी का शून्यवाँ नियम (Zeroth Law of Thermodynamics) कहा जाता है।

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ताप की अभिधारणा (Concept of Temperature in hindi):

ऊष्मागतिकी के शून्यवाँ नियम से ताप की अभिधारणा (concept of temperature) स्पष्ट होती है। इस नियम के अनुसार, दो निकाय (system) जो एक तीसरे निकाय के साथ तापीय संतुलन में हैं, एक-दूसरे से तापीय संतुलन में अवश्य रहते हैं। इस परिस्थिति में यह कहा जा सकता है कि तापीय साम्य में उन सभी वस्तुओं में एक सर्वनिष्ठ (common to all) गुण होता है जिसका मान सभी वस्तुओं के लिए एक ही होता है। इसी सर्वनिष्ठ गुण को ताप (temperature) कहा जाता है। अतः, ‘ताप’ किसी वस्तु का वह गुण है जिससे इस बात को बोध होता है कि वह वस्तु अन्य वस्तुओं के साथ ऊष्मीय साम्य में है अथवा नहीं।

तापमापन (Measurement of Temperature in hindi):

जब किसी पदार्थ को ऊष्मा दी जाती है तो पदार्थ की भौतिक अवस्था में परिवर्तन हो जाता है। भौतिक अवस्था के परिवर्तन की माप से ताप की माप की जाती है। तापमापन के लिए प्रयुक्त उपकरण को तापमापी या थर्मामीटर (thermometer) कहा जाता है। थर्मामीटर बनाने में ‘पदार्थ पर ऊष्मा के प्रभाव का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, द्रव थर्मामीटर (liquid thermometer) में ताप-वृद्धि के कारण द्रव के प्रसार के गुण का उपयोग किया जाता है।

थर्मामीटर बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थ को तापमापी द्रव्य (thermometric substance) तथा इसके जिस गुण की माप से ताप निर्धारित किया जाता है उसे तापमापीय गुण (thermometric property) कहा जाता है।

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ऊष्मा (Heat):

किसी गर्म वस्तु को छूने से उष्णता (hotness) तथा ठंडी वस्तु को छूने से ठंडापन (coldness) का अनुभव होता है। ठंडक एवं गर्माहट की अनुभूतियों का मूल कारण ऊष्मा (heat) है, जो ऊर्जा (energy) का एक रूप है। प्रकाश, विद्युत, ध्वनि इत्यादि ऊर्जा के अन्य रूप हैं।

प्रकृति में सभी पदार्थों की संरचना अणुओं (molecules) से होती है जो हमेशा गतिशील रहते हैं। ठोस पदार्थों के अणु अपनी माध्य स्थिति (mean position) के दोनों ओर दोलन करते रहते हैं। द्रवों के अणु उनके भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकते हैं, जबकि गैसों के अणु स्वतंत्र रूप से (freely) गतिशील रहते हैं।

अणुओं की गति सामान्यतः केवल सरल रैखिक ही नहीं होती, बल्कि इनमें घूर्णन (rotational) तथा कंपनिक (vibrational) गति भी सम्मिलित रहती है। इस प्रकार रैखिक, घूर्णन एवं कंपनिक की मिली-जुली गतियों के कारण गतिज ऊर्जा का कुल योग पदार्थ में ऊष्मा ऊर्जा के रूप में निहित रहता है । जब कोई वस्तु ऊर्जा के अन्य स्रोतों से ऊर्जा अवशोषित करती है तब अणुओं की गति तीव्र हो जाती है।

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स्पष्टतः, अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि वस्तु की ऊष्मा ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है, क्योंकि ऊर्जा के अन्य प्रकार को ऊष्मा ऊर्जा में तथा ऊष्मा ऊर्जा को भी ऊर्जा के अन्य प्रकारों में रूपांतरित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसी वस्तु को ऊँचाई से गिराने पर वह जमीन से टकराकर गर्म हो जाती है, अर्थात ऊष्मा ऊर्जा प्राप्त करती है। इस प्रक्रिया में यांत्रिक ऊर्जा का रूपांतरण ऊष्मा ऊर्जा में होता है। बिजली के बल्ब अथवा हीटर से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऊष्मा का उत्पन्न होना विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा ऊर्जा में रूपांतरण प्रदर्शित करता है।

अतः, ‘ऊष्मा’ ऊर्जा का वह रूप है जिसका अस्तित्व पदार्थों में अणुओं की गति के कारण होता है।

तापमापन के विभिन्न स्केल (Different Scales of Temperature Measurement):

सामान्यतः तापमापन के लिए दो भिन्न स्केल प्रयुक्त होते हैं – सेंटीग्रेड या सेल्सियस तथा फारेनहाइट। इन स्केलों के अतिरिक्त आजकल SI मात्रक में प्रायः सभी वैज्ञानिक कार्यों के लिए परम ताप स्केल (absolute temperature scale) या केल्विन स्केल (Kelvin scale) का उपयोग किया जाता है।

सेंटीग्रेड या सेल्सियस स्केल (Centigrade or Celsius scale)—–

इस स्केल का उपयोग सर्वप्रथम फ्रांस के वैज्ञानिक सेल्सियस ने किया था। इसमें थर्मामीटर के निम्न नियत बिंदु (lower fixed point) को सामान्य वायुमंडलीय दाब पर शुद्ध बर्फ के गलने का ताप, अर्थात शून्य डिग्री (0°C) तथा उच्च नियतं बिंदु को सामान्य वायुमंडलीय दाब पर शुद्ध पानी के उबलने का ताप, अर्थात 100 डिग्री (100°C) माना जाता है तथा दोनों नियत बिंदुओं के बीच की दूरी 100 बराबर भागों में बाँट दी जाती है। स्केल का प्रत्येक छोटा विभाग 1 डिग्री सेल्सियस (1°C) कहा जाता है।

फारेनहाइट स्केल (Fahrenheit scale)—–

इस स्केल का उपयोग सर्वप्रथम इंगलैंड के वैज्ञानिक फारेनहाइट ने किया था। इसमें थर्मामीटर के निम्न नियत बिंदु (पानी का हिमांक) को 32°F तथा उच्च नियत बिंदु (पानी का क्वथनांक) को 212°F माना जाता है तथा दोनों नियत बिंदुओं के बीच की दूरी 180 बराबर भागों में बाँट दी जाती है। स्केल का प्रत्येक छोटा विभाग 1 डिग्री फारेनहाइट (1°F) कहा जाता है। डॉक्टरी थर्मामीटर (clinical thermometer) में तापमापन के स्केल का अंशांकन फारेनहाइट स्केल में रहता है। सामान्यतः, स्वस्थ मनुष्य के शरीर का ताप लगभग 98°F होता है।

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केल्विन स्केल (Kelvin scale) —

लॉर्ड केल्विन (Lord Kelvin) ने आदर्श इंजन की दक्षता ने (efficiency) को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा स्केल प्रयुक्त किया जो इंजन के कार्यकारी पदार्थ के गुण से स्वतंत्र हो । तापमापन के इस स्केल को ताप का परम स्केल (absolute temperature scale) या केल्विन स्केल कहा जाता है। सेल्सियस स्केल पर एक डिग्री का परिमाण वही होता है जो केल्विन स्केल पर एक डिग्री का होता है।

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तापमापन की एकरूपता (uniformity) के लिए पेरिस में 1954 में हुई ‘वेट्स एंड मेजर्स’ की दसवीं आम सभा में जल के त्रिक बिंदु (triple point of water) को मानक नियत बिंदु (standard fixed point) तथा इसके ताप को 273.16 K माना गया, जहाँ K केल्विन (kelvin) में ताप को सूचित करता है।

परिभाषा के अनुसार, 1 केल्विन (K) वह ताप है जो जल के त्रिक बिंदु के ऊष्मागतिक ताप (thermodynamic temperature) का 1/273.16 वाँ भाग है। व्यवहार में वायुमंडलीय दाब पर गलते बर्फ के ताप तथा उबलते जल के ताप के अंतर के सौंवें भाग को 1K कहते हैं।

गैस थर्मामीटर (Gas Thermometer):

गैस का ताप बढ़ाने से उसके दाब (pressure) और आयतन (volume) दोनों में परिवर्तन होता है। दाब अथवा आयतन में यदि किसी एक को स्थिर रखा जाए तो दूसरे के परिवर्तन से ताप की माप की जा सकती है। गैसों के ऊष्मीय प्रसार के गुणों (properties of thermal expansion of gases) का उपयोग कर थर्मामीटर की रचना की जाती है जिसे गैस थर्मामीटर कहा जाता है। गैस थर्मामीटर दो प्रकार के होते हैं-

(i) नियत आयतन गैस थर्मामीटर (constant volume gas thermometer in hindi)

(ii) नियत दाब गैस थर्मामीटर (constant pressure gas thermometer in hindi)।

यदि किसी गैस का आयतन (V) नियत रखकर उसके ताप में परिवर्तन किया जाए तो उसका दाब (p) गैस के परम ताप (T) के समानुपाती (directly proportional) होता है,
अर्थात P ∝ T, यदि V नियत हो

इस संबंध को गैस का चार्ल्स का नियम (Charles’s law) कहा जाता है। नियत आयतन गैस थर्मामीटर इसी सिद्धांत पर कार्य करता है । इसी प्रकार, यदि किसी गैस का दाब (p) नियत रखकर उसके ताप में वृद्धि की जाए तो गैस का आयतन (V) उसके परम ताप (T) के समानुपाती होता है,

अर्थात V ∝ T, यदि p नियत हो

यह संबंध गे लुसाक का नियम (Gay Lussac’s law) को प्रदर्शित करता है। नियत दाब गैस थर्मामीटर की रचना एवं क्रियाविधि इसी सिद्धांत पर आधारित रहती है ।

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Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”तापमान किसे कहते है, तापमान की परिभाषा, तापमापन को कैसे मापा जाता है (Tapman kya hai)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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