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घर्षण किसे कहते है, घर्षण के प्रकार, घर्षण गुणांक, घर्षण की उत्पत्ति, घर्षण के नियम(Gharshan kise kahate hain)

Gharshan kise kahate hain-क्या आप घर्षण की अवधारणा के बारे में उत्सुक हैं? क्या आप इसके प्रकार, गुणांक, उत्पत्ति और नियमों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं? अगर ऐसा है, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है! इस लेख में, हम घर्षण(Friction in hindi)से संबंधित हर चीज का पता लगाएंगे – यह क्या है और इसके प्रकार से लेकर घर्षण के गुणांक और इसे नियंत्रित करने वाले कानूनों तक।

Table of Contents

घर्षण (Friction in hindi):

जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु के संस्पर्श (contact) में चलती है, या चलने की प्रवृत्ति रखती है, तो प्रायः इनकी आपेक्षिक गति अवरुद्ध होती है। वस्तु की गति किसी भी दिशा में हो, यह अवरोध (resistance) हमेशा मौजूद रहता है। इस अवरोध को ही घर्षण (Gharshan kise kahate hain) कहते हैं।

What is friction in hindi

“घर्षण एक बल है, जो वस्तु की सतहों के समांतर, परंतु वस्तु को फिसलानेवाले बल की विपरीत दिशा में लगता है। “

सतह समतल हो या वक्र, गति खिसकाने की हो या लुढ़काने की, सभी स्थितियों में घर्षण बल उत्पन्न होता है। घर्षण बल सतहों के खुरदरेपन (roughness) पर निर्भर करता है। जो सतह जितनी ही अधिक खुरदरी (रुखड़ी) होगी उसमें उतना ही अधिक घर्षण होगा। ऐसी कोई भी सतह नहीं है जो पूर्णत: चिकनी ( smooth), अर्थात घर्षणरहित हो । घर्षण ठोस वस्तुओं का विशेष गुण है।

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घर्षण की उत्पत्ति (Origin of Friction in hindi):

वस्तुओं की सतहें प्रायः अनियमित (irregular) रहती हैं। इनकी सतहों पर छोटे-छोटे उभार (bulge) तथा अवनमन (depression) अनियमित ढंग से वर्तमान रहते हैं । जब एक सतह दूसरी के संस्पर्श (contact) में आती है तो अपनी अनियमितताओं के कारण ये एक-दूसरे से अंतर्ग्रथित (interlocked) हो जाती हैं। दोनों सतहों में आपेक्षिक गति के लिए किसी एक सतह को अंतर्ग्रथन (interlocking) से निकालने के लिए कार्य करना पड़ता है जिससे गति अवमंदित (retarded) हो जाती है। गति में अवमंदन (retardation) तभी होता है जब अवरोधी बल कार्य करता है। संस्पर्श-सतह पर यही अवरोधी बल घर्षण के रूप में प्रकट होता है और हमेशा गति की विपरीत दिशा में कार्य करता है ।

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घर्षण का कारण केवल सतह की अनियमितता (irregularity) ही नहीं हो सकती है, क्योंकि सतह पर अच्छी तरह से पॉलिश कर देने के बाद उसकी अनियमितता तो लगभग समाप्त हो जाती है, परंतु घर्षण समाप्त नहीं होता है । सतह से धूल, नमी निकाल देने के बाद भी घर्षण बचा ही रहता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि घर्षण अंशतः (partially) आणविक बलों (molecular forces) के कारण उत्पन्न होता है।

जब दो सतहें एक-दूसरी के संस्पर्श में रहती हैं तो दोनों सतहों के अणुओं के बीच एक प्रकार का आकर्षण[-बल कार्य करता है जिस कारण दोनों सतहें एक-दूसरी से चिपक जाना चाहती हैं। इसलिए जब एक वस्तु दूसरी पर सरकती है तो उन बिंदुओं को जहाँ वे एक-दूसरे से आकर्षणT-बल के कारण चिपकी हैं, अलग करने के लिए एक बल आवश्यक रूप से लगाना होगा। इसलिए हम कह सकते हैं कि कुल आणविक आकर्षण, जिसे गति बनाए रखने के लिए पार करना है, घर्षण है।

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सर्पी तथा लोटनिक घर्षण (Sliding and Rolling Friction in hindi):

किसी सतह पर कोई वस्तु दो प्रकार से चल सकती हैं. – या तो खिसककर या लुढ़ककर (लोटन कर) । जब वस्तु की गति खिसकने की रहती है, तो उस स्थिति में गति की दिशा के विपरीत जो घर्षण बल लगता है उसे सर्पी घर्षण (sliding friction) कहते हैं। परंतु, जब वस्तु की गति लुढ़ककर या लोटन करके होती है, तो उस स्थिति में गति की दिशा के विपरीत जो घर्षण बल लगता है उसे लोटनिक घर्षण (rolling friction) कहते हैं। लोटनिक घर्षण बल का मान सर्पी घर्षण के मान से कम होता है।

घर्षण के नियम (Laws of Friction in hindi):

घर्षण के नियम निम्नलिखित हैं-

(i) घर्षण बल की दिशा हमेशा वस्तु को चलानेवाले बल के विपरीत होती है।

(ii) घर्षण किन्हीं दो सतहों के बीच सीमांत घर्षण बल का मान वस्तु पर सतह की अभिलंब प्रतिक्रिया के मान के समानुपाती होता है, अर्थात
F=µR

जहाँ µ एक नियतांक (constant) है जिसे घर्षण गुणांक (coefficient of friction) कहते हैं।

(iii) घर्षण गुणांक (µ) का मान सतहों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

(iv) यदि सतहों के बीच लगनेवाला अभिलंब प्रतिक्रिया-बल स्थिर हो, तो घर्षण बल संस्पर्श की सतहों के आकार या क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।

घर्षण गुणांक (Coefficient of Friction in hindi):

“किन्हीं दो सतहों के बीच सीमांत घर्षण बल (limiting frictional force) F का मान उनके बीच अभिलंब प्रतिक्रिया R के मान के समानुपाती होता है, अर्थात F=µR”

जहाँ µ एक नियतांक है जिसे घर्षण गुणांक या सीमांत घर्षण गुणांक(gharshan gunank) कहते हैं। यदि दो सतहों के बीच गतिज घर्षण बल Fk हो (Fk < F), तो गतिज घर्षण गुणांक –

µk=Fk/R चूँकि सीमांत स्थैतिक घर्षण बल (limiting static friction) का मान गतिज घर्षण बल के मान से अधिक होता है, इसलिए सीमांत घर्षण गुणांक µ का मान भी गतिज घर्षण गुणांक µk से अधिक होता है। किंतु, दोनों का मान सामान्यतः 1 से कम होता है। चूँकि घर्षण गुणांक(gharshan gunank)एक ही प्रकार की दो राशियों का अनुपात है, इसलिए इसका न तो कोई मात्रक होता है और न ही कोई विमा (dimension) होती है।

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लोटनिक घर्षण किसे कहते है (Rolling Friction in hindi):

किसी भारी वस्तु को क्षैतिज समतल पर खिसकाना कठिन होता है, लेकिन इसे पहिया लगे ठेला (cart) पर रखकर गतिशील करना आसान है। पुनः, उस ठेले को एकसमान चाल से गतिशील करने के लिए एक निश्चित बल लगाना पड़ता है। स्पष्टतः, एकसमान लोटनिक गति बनाए रखने के लिए बाह्य बल का आवश्यक रूप से लगाना इस बात का संकेत है कि गति में अवश्य ही कोई अवरोधक बल (resistive force) क्रियाशील है। इस अवरोधक बल को लोटनिक घर्षण (rolling friction) कहते हैं। लोटनिक घर्षण गुणांक (coefficient of rolling friction, µr, ) निम्नलिखित सूत्र से परिभाषित होता है –

  • µr=क्षैतिज समतल पर एकसमान लोटनिक गति बनाए रखने के लिए आवश्यक बल (P)/ समतल सतह द्वारा लगाया गया अभिलंब बल 👎
  • µr को कर्षक प्रतिरोध (tractive resistance) भी कहा जाता है।

घर्षण को कम करने की विधियाँ (Methods to Reduce Friction ):

सतहों को रगड़कर चिकना करके तथा उनपर पॉलिश करके घर्षण(Gharshan kise kahate hain) को कम किया जा सकता है। दो सतहों के बीच स्नेहक (lubricant) लगाकर भी घर्षण को कम किया जा सकता है। इससे यंत्रों के घूमनेवाले भागों के बीच चिकनाहट उत्पन्न हो जाने के कारण घर्षण कम हो जाता है। छोटे-छोटे यंत्रों (जैसे सिलाई की मशीन, पंखा इत्यादि) में पतला तेल और बड़े-बड़े यंत्रों में ग्रीज (गाढ़ा तेल) का उपयोग स्नेहक के रूप में होता है। शुद्ध वायु को भी संपीडित (compressed) कर स्नेहक के रूप में काम में लाया जाता है।

पहिए और घिरनियों में घर्षण कम करने के लिए बॉल बेयरिंग (ball bearing) का उपयोग किया जाता है। साइकिल, मोटरगाड़ी इत्यादि में बॉल बेयरिंग का प्रयोग होता है। मोटरगाड़ी, वायुयान (aeroplanes) इत्यादि जो काफी अधिक वेग से चलते हैं, हवा के संस्पर्श (contact) से बड़े परिमाण में घर्षण बल द्वारा प्रभावित होते हैं। इसलिए इनका आकार धारा रैखिक (मछली जैसी आकृति का) कर दिया जाता है जिससे हवा इनके ऊपर से बिना किसी विशेष रुकावट के निकल जाती है।

दैनिक जीवन में घर्षण का महत्त्व (Importance of Friction in Daily Life):

दैनिक जीवन में घर्षण हमारे लिए अत्यंत उपयोगी है। घर्षण के कारण ही हम पृथ्वी पर चल सकते हैं, अन्यथा इसके अभाव में हम फिसल जाते। बर्फ की चिकनाहट के कारण उसपर घर्षण बहुत कम होता है जिससे उसपर चलना कठिन होता है। घर्षण न होता तो लकड़ी या दीवार में कील या काँटी गाड़ना, पेड़ पर चढ़ना, रस्सी में गाँठ लगाना इत्यादि कार्य करना असंभव होता। घर्षण न रहने पर दीवार के सहारे सीढ़ी रखकर चढ़ना भी संभव न होता । मोटरगाड़ी या साइकिल वगैरह को रोकने का काम घर्षण गुण से ही लिया जाता है। वास्तव में, यदि प्रकृति में थोड़ा-बहुत घर्षण न हो, तो हमारी दशा बड़ी दयनीय हो जाएगी।

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घर्षण से जहाँ फायदे हैं, वहाँ इससे नुकसान भी हैं। उदाहरणार्थ, घर्षण के कारण मशीनों को दी हुई ऊर्जा का कुछ भाग हमेशा नष्ट हो जाता है, जो प्रायः ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है और मशीन के विभिन्न भागों को गर्म कर देती है। मशीन में घर्षण कम करने के लिए उसमें तेल या ग्रीज डालना पड़ता है। इस प्रकार घर्षण के लाभ तथा हानि को देखते हुए इसे आवश्यक दोष (necessary evil) कहा जाता है।

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जड़त्वीय एवं अजड़त्वीय निर्देश फ्रेम की परिभाषाएँ तथा छद्म वल (Definitions of Inertial and Noninertial Frames of Reference and Pseudo Forces):

वस्तु की गति का अध्ययन किसी निर्देश फ्रेम (reference frame) के सापेक्ष किया जाता है। निर्देश फ्रेम निम्नांकित दो प्रकार के होते हैं—

  • जड़त्वीय फ्रेम (inertial frame)
  • अजड़त्वीय फ्रेम (noninertial frame)

जड़त्वीय फ्रेम (Inertial frame) –

जिस फ्रेम में मुक्त कण (free particle) या तो विराम में रहते हैं अथवा एकसमान गति से किसी सरल रेखा पर गतिशील रहते हैं, उस फ्रेम को जड़त्वीय फ्रेम कहा जाता है। स्पष्टतः, जिस फ्रेम में न्यूटन की गति का प्रथम नियम मान्य होता है, उसे जड़त्वीय फ्रेम कहा जाता है।

अजड़त्वीय फ्रेम ( Noninertial frame) –

वैसे निर्देश फ्रेम जो किसी जड़त्वीय फ्रेम • के सापेक्ष त्वरित (accelerated) हों, उन्हें अजड़त्वीय फ्रेम कहा जाता है।

पृथ्वी को साधारणतः जड़त्वीय फ्रेम के रूप में माना जाता है। परंतु, यथार्थतः पृथ्वी भी पूर्णरूपेण जड़त्वीय फ्रेम नहीं है, अर्थात यह अजड़त्वीय फ्रेम है, क्योंकि इसकी घूर्णन गति (rotational motion) तथा सूर्य के चारों ओर चक्रीय गति (orbital motion) के कारण इसमें त्वरण होता है जिसके प्रभावों को गति के अध्ययन में नगण्य माना जा सकता है।

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FAQ

घर्षण किसे कहते है?

“घर्षण एक बल है, जो वस्तु की सतहों के समांतर, परंतु वस्तु को फिसलानेवाले बल की विपरीत दिशा में लगता है। “

घर्षण कितने प्रकार का होता है?

घर्षण के दो प्रकार हैं: स्थैतिक घर्णण और गतिज घर्षण

घर्षण गुणांक से आप क्या समझते हैं?

“किन्हीं दो सतहों के बीच सीमांत घर्षण बल (limiting frictional force) F का मान उनके बीच अभिलंब प्रतिक्रिया R के मान के समानुपाती होता है, अर्थात F=µR”

घर्षण बल का सूत्र क्या होता है?

F=µR, जहाँ µ एक नियतांक (constant) है जिसे घर्षण गुणांक (coefficient of friction) कहते हैं।

घर्षण बल की दिशा क्या होती है?

घर्षण हमेशा उस दिशा में कार्य करता है जो वस्तु की गति के विपरीत होती है- अर्थात बल की दिशा के विपरीत।

Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”घर्षण किसे कहते है, घर्षण के प्रकार, घर्षण गुणांक, घर्षण की उत्पत्ति, घर्षण के नियम(Gharshan kise kahate hain)”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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