कण की अभिधारणा (Concept of a Particle):
विश्व में सभी वस्तुओं में घटित होनेवाली एक सामान्य घटना है गति (motion)। चलते या दौड़ते समय अथवा किसी बस में यात्रा करते समय हम गति की अवस्था (state of motion) में रहते हैं। सोते समय हमारी नसों में रक्त संचार के क्रम में हमारा रक्त गति की अवस्था में रहता है। प्रकृति में पेड़ों से पत्तियों का गिरना अथवा नदी या सागर में धारा- प्रवाह गति के सामान्य उदाहरण हैं। हमारी पृथ्वी भी अपनी दैनिक गति के क्रम में 24 घंटे में एक घूर्णन तथा वार्षिक गति में सूर्य के चारों ओर एक वर्ष में एक चक्र पूरा करती है। सूर्य भी गैलेक्सी में गतिशील रहता है, यहाँ तक कि गैलेक्सी में भी गति होती है।
स्पष्टतः, गति का अर्थ है किसी वस्तु का समय के साथ स्थान परिवर्तन । गति का सबसे सरल रूप है सरल रेखा में गति या सरल रैखिक गति (rectilinear motion ) । यहाँ हम गतिशील वस्तु को बिंदुवत (point-like object) मानकर गति का अध्ययन करेंगे। किसी वस्तु को कण (particle) जैसा मानने के लिए निम्नांकित शर्तों की मान्यता अनिवार्य है-
(a) वस्तु का आकार इसके द्वारा पर्याप्त समय में तय की गई दूरी की तुलना में बहुत कम हो ।
(b) वस्तु की आकृति एवं आकार अपरिवर्तित रहे अर्थात वस्तु दृढ़ हो ।
उदाहरण के लिए, किसी गेंद की प्रक्षेप गति में इसके द्वारा तय की गई दूरी का मान गेंद के आकार की अपेक्षा बहुत अधिक है। अतः, गति में गेंद को कण जैसा माना जा सकता है। पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में चंद्रमा को कण जैसा मानते हैं, क्योंकि चंद्रमा की त्रिज्या (~10°m) पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच माध्य दूरी (~108 m) से बहुत कम है। ठीक इसी प्रकार सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की वार्षिक गति के अध्ययन में भी पृथ्वी को कण जैसा माना जाता है, क्योंकि पृथ्वी की त्रिज्या (6.4×106 m), सूर्य एवं पृथ्वी के बीच की माध्य दूरी (149.6×108 m) की तुलना में बहुत कम है।
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कण की स्थिति
जब किसी कण की गति एक सीधी रेखा में होती है तो उस गति को पूर्णतः निरूपित (represent) करने के लिए केवल एक नियामक (coordinate) का ज्ञात रहना आवश्यक है। इस गति में मूलबिंदु (origin) के सापेक्ष कण के विस्थापन की दर से वेग ज्ञात किया जाता है। वेग एवं त्वरण केवल उसी सीधी रेखा के अनुदिश रहते हैं। उदाहरणार्थ, यदि कोई कण केवल X-दिशा में गतिशील हो, तो उसके वेग और त्वरण, Y- तथा Z – निर्देशाक्षों के अनुदिश शून्य होंगे। इस प्रकार की गति को एकविमीय गति (one-dimensional motion or motion in one dimension) कहा जाता है।
यदि किसी कण की गति एक समतल में किसी वक्र-पथ (curved path) पर हो तब कण की स्थिति (position) के निरूपण के लिए दो नियामकों का ज्ञात रहना आवश्यक है। इस गति में कण के वेग तथा त्वरण के दो घटक होते हैं। उदाहरणार्थ, यदि कण की गति X – Y तल में हो, तो विस्थापन, वेग एवं त्वरण के मान X- तथा Y-निर्देशाक्षों के अनुदिश ज्ञात किए जा सकते हैं।
इस प्रकार की गति को समतल में गति (motion in a plane) या द्विविमीय गति (two-dimensional motion or motion in two dimensions ) कहा जाता है। यदि कोई कण किसी पथ पर आकाश में (in space) गतिशील हो, तो उसकी स्थिति के पूर्ण के लिए तीन नियामक जैसे (x, y, z) का ज्ञात रहना आवश्यक है। इस गति में विस्थापन ग तथा त्वरण के मान परस्पर तीन लंबवत निर्देशाक्षों के अनुदिश ज्ञात किए जा सकते हैं। इस की गति को त्रिविमीय गति (three-dimensional motion or motion in three-dimensions) कहा जाता है ।
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निर्देश फ्रेम (Reference Frame):
किसी कण की गति का अध्ययन एक प्रेक्षक के सापेक्ष (relative to an observer) किया जाता है। कण की स्थिति (position) बताने के लिए एक निर्देश फ्रेम (reference frame) की आवश्यकता होती है। यह निर्देश फ्रेम एक काल्पनिक, परस्पर लंबवत नियामक अक्ष (mutually perpendicular coordinate axes) अर्थात x, y, z अक्ष हैं जिसके सापेक्ष कण की स्थिति निर्देशित करते हैं। यदि इस फ्रेम में एक घड़ी (clock) लगा दें तो समय की गणना भी हो जाती है। यदि समय के सापेक्ष कण के सभी (तीनों) स्थिति नियामक (position coordinates), अर्थातx, y, z नियामक अपरिवर्तित रहें तो कण को इस निर्देश फ्रेम के सापेक्ष स्थिर (at rest with respect to the frame) कहा जाता है। इसके विपरीत इन तीनों नियामकों में से यदि केवल एक अथवा एक से अधिक नियामक समय के साथ बदल रहे हों तब कहा जाता है कि कण अथवा वस्तु निर्देश फ्रेम के सापेक्ष गतिशील अवस्था में है।
निर्देश फ्रेम का चुनाव (choice) करने के लिए कोई निश्चित नियम नहीं होता है । कण की स्थिति अथवा गति का वर्णन करने के लिए निर्देश फ्रेम का चुनाव सुविधा के अनुसार ही किया जाता है। उदाहरण के लिए, किसी रेलगाड़ी में स्थित प्रेक्षक के लिए उस फ्रेम को, अर्थात x, y, z नियामक को रेलगाड़ी से ही संबद्ध मान लेते हैं। रेलगाड़ी की गतिशील अवस्था में बाहर के पेड. टेलीफोन या बिजली के खंभे, आदि के स्थिति नियामक (position coordinates) रेलगाड़ी (अर्थात फ्रेम) के सापेक्ष बदलते रहते हैं। स्पष्टतः, गाड़ी के सापेक्ष पेड़, खंभे आदि गतिशील अवस्था में होते हैं। इन नियामकों में समय के साथ परिवर्तन का अध्ययन करने से गति का पूरा ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
Conclusion
दोस्तों हमारा Blog….”कण का अर्थ क्या होता है , निर्देश फ्रेम (Reference Frame) क्या है?”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.