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एक जीन की वंशागति क्या है, परिभाषा, प्रकार (Inheritance of One Gene)

एक जीन की वंशागति (Inheritance of One Gene)

एकसंकर क्रॉस (Monohybrid cross) —

जब दो पौधों के बीच एक इकाई लक्षण (one character) के आधार पर संकरण कराया जाता है जो इसे एकसंकर क्रॉस कहते हैं। एकसंकर क्रॉस में मेंडल ने मटर के पौधे की दो ऐसी उपजातियाँ चुनीं जिनके विपरीत लक्षणों के जोड़े में एक लम्बा (tall) तथा दूसरा बौना (dwarf) था और इनका उन्होंने आपस में क्रॉस किया। उन्होंने देखा कि पहली पीढ़ी में बीजों द्वारा जो पौधे उत्पन्न हुए थे वे सभी लंबे थे। इन सभी पहली पीढ़ीवाले पौधों को F, पौधे कहते हैं।

पहली पीढ़ी से प्राप्त पौधों का उन्होंने फिर आपस में क्रॉस कराया (जिसे selfing कहते हैं) और उन्होंने पाया कि दूसरी पीढ़ी (F2) में पाए जानेवाले लंबे तथा नाटे पौधों का समलक्षणी अनुपात (phenotypic ratio) 3 : 1 था। इस प्रकार के अनुपात को एकसंकर अनुपात (monohybrid ratio) भी कहते हैं।

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एकसंकर क्रॉस के आधार पर मेंडल के निम्नलिखित नियम प्रतिपादित होते हैं।

इकाई लक्षण का नियम (Law of unit characters) —

किसी जीव के अनेक व्यक्तिगत लक्षण होते हैं। प्रत्येक लक्षण स्वतंत्र होता है तथा दूसरे पर आधारित नहीं रहता है एवं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी या जनकों से संतति में स्वतंत्र रूप से संचरण करता है। हरएक ऐसे लक्षण को इकाई लक्षण (unit trait, or character ) कहते हैं, जैसे किसी पौधे का लंबा होना या बौना होना एक इकाई लक्षण है जो जीन्स (T या t) द्वारा निर्धारित होता है।

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प्रभाविता का नियम (Law of dominance) –

इस नियम के अनुसार जब दो विपरीत ऐलील किसी जीवधारी में एक साथ आते हैं, तब उनमें से केवल एक बाह्य रूप से दिखाई पड़ता है और दूसरा दबा हुआ रहता है। दिखाई देनेवाले लक्षण को प्रभावी (dominant) एवं नहीं दिखाई देनेवाले लक्षण को अप्रभावी (recessive) कहते हैं।

लंबाई के लिए मटर के पौधों में दो ऐलील, लंबा (T) एवं बौना (t), होते हैं। मेंडल के प्रयोग में जब शुद्ध लंबे (TT) पौधे का शुद्ध बौने (tt) पौधे से संकरण कराया गया तो प्रथम संतानीय पीढ़ी में सभी पौधे लंबे थे, हालाँकि यह पौधा विषमयुग्मजी (heterozygous) था और इसमें दोनों विपरीत ऐलील (I एवं 1) मौजूद थे। इस प्रकार प्रथम पीढ़ी में केवल एक ऐलील, जिसे प्रभावी कहते हैं दिखाई देता है जबकि दूसरी ऐलील, जो अप्रभावी होता है, बाह्य रूप से दिखाई नहीं पड़ता,जैसे बौनापन। इन प्रयोगों से यह पता चलता है कि प्रभावी लक्षण या तो समयुग्मजी (homozygous) स्थिति में जब पौधे का जीनोटाइप TT हो या विषमयुग्मजी (heterozygous) स्थिति में, जब पौधे का जीनोटाइप Tt हो, दिखाई पड़ता है।

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