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अन्योन्य क्रियाएँ क्या होती है, अन्योन्य क्रियाएँ का अर्थ, अन्योन्य क्रिया का उदाहरण

अन्योन्य क्रियाएँ हर जगह हैं। लोगों के बीच बातचीत से लेकर जानवरों की हरकतों तक, क्वांटम क्षेत्र में कणों के व्यवहार तक – बातचीत लगातार हो रही है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम पता लगाएंगे कि अन्योन्य क्रियाएँ क्या हैं, उनका अर्थ और कुछ उदाहरण। तो चलो गोता लगाएँ!

अन्योन्य क्रियाएँ एवं बल की अनुभूति (Interactions and Feeling of Force):

कणों के बीच परस्पर आकर्षण- विकर्षण ( attraction-repulsion) अथवा क्रिया-प्रतिक्रिया (action-reaction) के रूप में लगनेवाले बल को अन्योन्य क्रिया (interaction) कहा जाता है। प्रकृति में होनेवाली सभी घटनाएँ (events) इसी अन्योन्य क्रिया के कारण घटित होती हैं तथा दो कणों अथवा वस्तुओं के बीच बल अनिवार्यतः आरोपित होता है। उदाहरण के लिए, दो कणों के बीच उनके द्रव्यमान ( mass) के कारण गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational force) लगता है। यदि इन कणों पर विद्युत आवेश भी हों तो गुरुत्वाकर्षण के अतिरिक्त वैद्युत बल (electrical force) भी लगता है। गुरुत्वाकर्षण बल की प्रकृति हमेशा आकर्षण (attraction) की होती है, जबकि वैद्युत बल, आवेश की प्रकृति पर निर्भर करते हुए आकर्षण (विजातीय आवेशों के बीच) अथवा विकर्षण (सजातीय आवेशों के बीच) का होता है। यदि ये आवेशित कण अन्य वैद्युत अथवा चुंबकीय क्षेत्र में (गतिशील होने पर ) हों तब इनपर अतिरिक्त बल भी कार्य करते हैं।

साधारणतः जब हम किसी वस्तु को धकेलते (push) हैं तो हम वस्तु पर अपने से आगे की ओर (away from self) बल लगाते हैं। इसी प्रकार वस्तु को अपनी ओर खींचने (pull) के क्रम में बल अपनी ओर लगाते हैं। इस प्रकार, बल का मूल अर्थ धकेलना अथवा खींचना है। (Force is basically a push or a pull.) बल हमेशा जोड़े के रूप में रहते हैं। (Forces always exist in pairs.)

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उदाहरणार्थ, टेबुल पर रखी पुस्तक टेबुल पर (अपने भार के कारण) नीचे की ओर ( downward) बल लगाती है, जबकि टेबुल द्वारा पुस्तक पर ठीक विपरीत दिशा में ऊपर की ओर बल लगता है।

स्पष्टतः, अन्योन्य क्रियाओं में बल का अस्तित्व ( existence) हमेशा जोड़े में होता है जो न्यूटन के गति के तीसरे नियम (Newton’s third law of motion) के रूप में व्यक्त होता है।

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प्रकृति के मौलिक बलों की मूल धारणा (Basic Idea about the Fundamental Forces of Nature):

प्रकृति में होनेवाली सभी अन्योन्य प्रक्रियाएँ किसी-न-किसी मौलिक बल के कारण ही होती हैं। इन मौलिक बलों को निम्नलिखित चार श्रेणियों में बाँटा गया है।

  • (i) गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया (gravitational interaction)
  • (ii) विद्युत-चुंबकीय अन्योन्य क्रिया (electromagnetic interaction)
  • (iii) नाभिकीय बल (nuclear force)
  • (iv) मंद अन्योन्य क्रिया (weak interaction)

गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया (Gravitational interaction)-

द्रव्यमान के कारण दो द्रव्यात्मक वस्तुओं के बीच आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं। (Force of attraction between two material bodies by virtue of their masses is called gravitation.) न्यूटन के अनुसार गुरुत्वीय बल,

                                            F = G(m1m2/r^ 2)

विद्युत चुंबकीय अन्योन्य क्रिया (Electromagnetic interaction):

दो कणों के बीच गुरुत्वीय बल के अतिरिक्त उनपर निहित आवेशों (charge) की उपस्थिति के कारण लगनेवाला बल विद्युत चुंबकीय अन्योन्य क्रिया उत्पन्न करता है।

प्रत्येक वस्तु अणुओं तथा परमाणुओं से मिलकरं बनी होती है। अणु एवं परमाणु की संरचना इलेक्ट्रॉन (electron), प्रोटॉन (proton) तथा न्यूट्रॉन (neutron) जैसे मूल कणों (elementary particles) को मिलाकर होती है। इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन क्रमशः ऋणात्मक तथा धनात्मक आवेशित कण हैं जिनपर आवेश का बराबर परिमाण (1.6×10^-19C) होता है। प्रत्येक परमाणु में सभी इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन द्वारा आरोपित विद्युत चुंबकीय बल के कारण ही बद्ध (bound) रहते हैं। ऐसे सभी परमाणु विद्युत-चुंबकीय बलों के अधीन मिलकर अणु बनाते हैं। आणविक एवं परमाणविक घटनाएँ भी इसी विद्युत चुंबकीय बल के कारण होती हैं।

दैनिक जीवन में विद्युत-चुंबकीय अन्योन्य क्रिया के अधीन कार्यकारी बलों के कुछ उदाहरण (Some Examples of Common Forces in daily life underlying Electromagnetic Interaction):


आणविक एवं परमाणविक घटनाओं के अतिरिक्त दैनिक जीवन की घटनाएँ भी विद्युत-चुंबकीय बल के कारण होती हैं, जिनके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।

दो तलों के बीच संपर्क बल (Contact force between two surfaces ) –

दो तलों के एक-दूसरे के संपर्क (contact) में रहने पर उनके परमाणु एक-दूसरे के बहुत निकट आ जाते हैं, फलतः इन परमाणुओं के आवेशित कण परस्पर अत्यधिक बल आरोपित करते हैं। यह बल संपर्क तल के लंबवत (normal to the common surface of contact) दिशा में क्रियाशील होने पर अभिलंब प्रतिक्रिया (normal reaction) के रूप में होता है तथा संपर्की तल के समांतर होने पर (tangential to the surface of contact) घर्षण बल (force of friction) के रूप में होता है। ऐसे सभी बलों का अस्तित्व मूलतः तलों के अणु एवं परमाणुओं के बीच विद्युत-चुंबकीय अन्योन्य क्रिया के कारण है।

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संपर्कों बल हमेशा जोड़े में (in pairs) रहते हैं तथा क्रिया-प्रतिक्रिया के रूप में न्यूटन के गति के तीसरे नियम का पालन करते हैं। इन बलों की प्रकृति विद्युत चुंबकीय होती है।

डोरी में तनाव (Tension in a string ) –

किसी स्थिर डोरी को तनन की अवस्था (in stretched state) में रखने के लिए इसके दोनों सिरों पर विपरीत दिशाओं में डोरी की लंबाई के अनुरेख समान परिमाण के बल लगाने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए, रस्साकशी (tug of war) में दो टीमें एक ही रस्से को अपनी-अपनी ओर खींचती है जिससे रस्सा तना रहता है और इसकी लंबाई में सूक्ष्म वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति में कहा जाता है कि रस्से में तनाव (tension) है। इसी प्रकार, किसी डोरी से आबद्ध भार के कारण डोरी में तनाव उत्पन्न होता है । डोरी में तनाव की प्रकृति भी मूलतः विद्युत चुंबकीय होती है । ( The tension in a string is basically electromagnetic in nature.)

किसी दृढ़ आधार से जुड़ी डोरी से यदि कोई वस्तु निलंबित हो, तो वस्तु के निकट वाली डोरी के सिरे के इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन, वस्तु के इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन पर विद्युत-चुंबकीय बल लगाते हैं तथा इनका परिणामी बल तनाव के रूप में उस वस्तु पर लगता है।

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स्प्रिंग बल (Spring force) –

एकसमान अनुप्रस्थ के सर्पिल (spiral) के रूप में किसी धातु के तार को कुंडलित करने पर स्प्रिंग बनता है। किसी क्षैतिज तल पर रखा यह स्प्रिंग अपनी सामान्य अवस्था में शिथिल (relaxed) रहता है जब इसके सिरों पर कोई बल नहीं लगाया जाता है। इसके दोनों सिरों के बीच अक्ष के अनुदिश लंबाई को स्प्रिंग की स्वाभाविक लंबाई (natural length) अथवा शिथिल लंबाई (relaxed length) कहते हैं। इसके दोनों सिरों को विपरीत दिशाओं में खींचने पर स्प्रिंग की लंबाई में प्रसार ( extension) होता है तथा दबाने पर संकुचन (contraction) होता है। प्रसार के समय स्प्रिंग दोनों सिरों पर संबद्ध वस्तुओं को अपनी ओर खींचता (pulls) है तथा संकुचन के समय उन्हें धकेलता (pushes) है।

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नाभिकीय बल (Nuclear force) –

पदार्थ के प्रत्येक परमाणु (atom) के नाभिक (nucleus) में न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन, मूल कण (elementary particle) होते हैं तथा नाभिक का आकार (size) परमाणु के आकार का 1/10^21 होता है। चूँकि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के द्रव्यमान की अपेक्षा नगण्य होता है, अतः परमाणु का कुल द्रव्यमान नाभिक के रूप में बिंदुक्त केंद्रित मान सकते हैं।

नाभिक के अंदर प्रोटॉनों (धनावेशित कण) के बीच प्रतिकर्षण (repulsion) होता है, जबकि न्यूट्रॉनों द्वारा कोई विद्युतीय बल नहीं लगता। कुल प्रतिकर्षण की तुलना में गुरुत्वीय आकर्षण नगण्य होता है।

मंद अन्योन्य क्रिया (Weak interaction) –

गुरुत्वीय और नाभिकीय बलों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकृति की अन्योन्य क्रिया भी होती है जिसका संबंध इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन के बीच होनेवाली प्रतिक्रिया से है। जब न्यूट्रॉन का विघटन (disintegration) प्रोटॉन में होता है तब इलेक्ट्रॉन के अतिरिक्त एक अन्य कण एण्टिन्यूट्रिनो (antineutrino) भी उत्सर्जित होता है। इसे β^- ऐक्टिविटी कहते हैं। इसी प्रकार β^+ ऐक्टिविटी में प्रोटॉन का परिवर्तन न्यूट्रॉन में होने पर पोजिट्रॉन (e^+) तथा एक न्यूट्रिनो भी उत्सर्जित होते हैं।

संगामी बल तथा संतुलन (Concurrent Forces and Equilibrium):

यदि किसी वस्तु पर लगनेवाले अनेक बल जो विभिन्न दिशाओं में दिष्ट (directed) हों तथा उनकी दिशाएँ वस्तु के अंदर किसी एक बिंदु पर कटती हों, तो बलों के ऐसे समूह को संगामी बल (concurrent forces) कहा जाता है।

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Conclusion

दोस्तों हमारा Blog….”अन्योन्य क्रियाएँ क्या होती है, अन्योन्य क्रियाएँ का अर्थ, अन्योन्य क्रिया का उदाहरण”पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद उम्मीद करता हूं कि इस आर्टिकल में आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल रह गया हो, तो आप हमसे Comments द्वारा पूछ सकते हैं.

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